दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा 25 से 31 दिसम्बर 2022 तक सभागार, सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र (सीसीआरटी), सेक्टर-7, द्वारका, नई दिल्ली में ‘Let’s Decode Ramayana’ शीर्षक के अंतर्गत पहली बार विशेष रूप से अंग्रेजी भाषा में सात दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। भगवान श्री राम के जीवन पर सामाजिक-आध्यात्मिक-वैज्ञानिक अन्वेषण सहित प्रस्तुत इस कथा में असंख्य श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।
श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी दीपिका भारती जी ने उपस्थित श्रोताओं का ज्ञान वर्धन करने हेतु श्री राम जी के जीवन में निहित आध्यात्मिक संदेशों का रहस्योद्घाटन सुंदर व्याख्यान सहित प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि भगवान श्री राम शत्रुओं के लिए महापराक्रमी एवं शौर्यवान रहे, किन्तु दीन-दुःखी के प्रति सदैव संरक्षक, कोमलता और दयालुता का भाव रखा। उन्हें अधिकांशतः ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ कहकर संबोधित किया जाता है| धर्म के अवतार, दोषरहित व्यवहार की कसौटी पर जो खरे उतरे एवं आदर्श मनुष्य की प्रतिमूर्ति माना जाता है। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन ‘सनातन धर्म’- शाश्वत सत्य के सिद्धांतों के अनुकूल व्यतीत किया।
यद्यपि भगवान राम का जन्म राजपरिवार में हुआ, तदापि उनका जीवन चुनौतियों से भरा हुआ था, चाहे 14 वर्षों के लिए वनवास जाना हो, रावण द्वारा उनकी भार्या सीता का अपहरण करना हो, अपने राजकीय दायित्वों को निभाते हुए नैतिक दुविधाओं का सामना करना हो। परंतु जीवन की इन सभी मुश्किलों में श्री राम के चेहरे पर मुस्कराहट सदैव बनी रही। उन्होंने समूची मानव जाती के समक्ष आदर्श जीवन जीने का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। मनुष्य को चाहिए कि वह श्री राम के गुणों को चरितार्थ कर, अपने जीवन के प्रत्येक क्षण को उनके आदर्शों के अनुकूल पवित्र बनाने में प्रयासरत रहे।
प्रवक्ता ने श्री राम के व्यवहार से जुड़ी मिथ्या धारणाओं पर भी स्पष्टीकरण दिया- जैसे शंभूक वध, शूर्पणखा की नाक काटना, सीता की अग्नि-परीक्षा लेना, गर्भवती सीता का त्याग करना इत्यादि। उन्होंने प्राचीन भारत की आध्यात्मिक संस्कृति में निहित अज्ञात तथ्यों को भी उजागर किया- जैसे ऋषियों के वैज्ञानिक शोध व आंतरिक यात्राएं, आदर्श शासन का उदाहरण (राम राज्य) आदि।
कथा वक्ता ने कहा कि केवल अध्यात्म द्वारा जागृत व्यक्ति ही एक सुंदर समाज का निर्माण करने व विश्व शांति के लिए मार्ग प्रशस्त करने में सफल हो पाता है। यह तभी संभव है जब समय के पूर्ण सतगुरु (जो स्वयं ईश्वर से जुड़े हों और दूसरों को भी जोड़ने की क्षमता रखते हों) ब्रह्मज्ञान का दुर्लभ विज्ञान प्रदान करते हैं। तत्पश्चात, ऐसे गुरु के मार्गदर्शन में गहन ध्यान-साधना कर भक्त शांति, शुद्धता व शीतलता का अनुभव करता है। केवल ब्रह्मज्ञान के वैज्ञानिक उपकरण द्वारा ही चौबीसों घंटों और चारों दिशाओं में भटकते मानव मन को नियंत्रित व शांत किया जा सकता है। समस्त वेद व ग्रंथ इस तथ्य की पुष्टि करते हैं। स्वयं भगवान श्री राम (धरा पर ईश्वरीय अवतार), जिनका अवतरण शांति स्थापना व मानवता का संरक्षण करने हेतु हुआ, उन्होंने वेदों द्वारा प्रशस्त मार्ग का अनुसरण किया और ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने के लिए अपने गुरुदेव की शरण ली।
कार्यक्रम के अंत में साध्वी जी ने उपस्थित श्रोताओं पर वर्तमान समय में ब्रह्मज्ञान से आत्म-जागरण की अनिवार्यता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि डीजेजेएस के द्वार सत्य-पथ के जिज्ञासुओं के लिए सदैव खुले रहेंगे क्योंकि हमारा उद्देश्य आत्म-जागरण के शाश्वत विज्ञान- ‘ब्रह्मज्ञान’ से विश्व में शांति स्थापित करने हेतु प्रत्येक व्यक्ति के अंतःकरण को शांत करना है| जब प्रत्येक व्यक्ति का मन शांत होगा, तब बाह्य जगत में भी अपने आप शांति स्थापित हो जायेगी। इसमें कोई संदेह नहीं है|
डीजेजेएस ने जन-मानस में आध्यात्मिकता का संचार व सत्य-पथ पर उनका मार्गदर्शन प्रदान करने के अपने उद्देश्य को सफलतापूर्वक पूर्ण किया।