22 मार्च, 2023 को दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा नूरमहल आश्रम (पंजाब) में हिन्दू नववर्ष (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) के विशेष अवसर पर 'दिव्य सरोवर' की नींव रखी गई। भारतीय संस्कृति अनुसार ऋषि परंपरा के अंतर्गत कार्यक्रम की शुरुआत दिव्य हवन-यज्ञ से की गई। जिसकी दिव्य तरंगों से वातावरण में दिव्यता का संचार हुआ। इसी के साथ कार्यक्रम में 'दिव्य ज्योति वेद मंदिर’ के वेदपाठियों व आशुतोष महाराज जी के लगभग 300 ब्रह्मज्ञानी शिष्यों द्वारा सामूहिक वैदिक मंत्रोच्चारण भी किया गया। मंत्रों के रूप में हमारे वेदों में ज्ञान का वह भंडार है जो समाज व मानव हृदयों में बसी नकारात्मकता को सकारात्मकता में परिवर्तित कर सकता है। जब ब्रह्मज्ञानी शिष्य दिव्य गुरु के मार्गदर्शन में वेद मंत्रो का वैदिक रीति व पद्धति अनुसार शुद्ध उच्चारण करते हैं तब वैदिक मंत्रोच्चारण सकारात्मक आभा उत्पन्न करता है जो नि:संदेह प्रकृति पर सूक्ष्म सकारात्मक प्रभाव डालता है।
साथ ही, आश्रम में ही 21 से 22 मार्च 2023 तक दो दिवसीय सामूहिक साधना सत्र का भी आयोजन किया गया। दोनों दिन कार्यक्रम का समापन गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की दिव्य आरती के साथ हुआ जहाँ श्रद्धालुओं ने गुरुदेव के श्री चरणों में अपनी भावनाएं अर्पित की।
संस्थान की यह दृढ़ मान्यता है कि 'दिव्य सरोवर' की प्राकृतिक सुन्दरता निश्चित रूप से ही आगंतुकों के लिए शांतिप्रदायक सिद्ध होगी। यह साधकों को आध्यात्मिक जाग्रति के माध्यम से दिव्यता की गहरायी में उतरने के लिए भी प्रोत्साहित करेगा। गुरुदेव अक्सर कहते हैं- ‘बाहर की दुनिया में हम जो भी देखते हैं, वह हर मनुष्य के अंदर स्थापित अंतर्जगत का ही प्रतिबिम्ब है।’ शास्त्र भी एकमत हो यही विचार प्रसारित करते हैं-'जो ब्रह्मणडे सोइ पिण्डे'। इसलिए मनुष्य को अंतर्जगत की दिव्य आध्यात्मिक यात्रा शुरू करने के लिए एक पूर्ण ब्रह्म-निष्ठ गुरु की आवश्यकता होती है। समय के साथ-साथ नूरमहल आश्रम की पवित्र धरती समस्त ईश्वर जिज्ञासुओं के लिए भक्ति मार्ग को उजागर करने वाली व मानव तन के भीतर ही ब्रह्मज्ञान को प्रकट करने वाली एतिहासिक धरोहर बनेगी।