दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 14 से 20 अक्तूबर 2022 तक सेक्टर-43, छलेरा, नोएडा, उत्तर प्रदेश में होने वाली सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ करने हेतु 14 अक्तूबर 2022 को प्रातः कलश यात्रा का आयोजन किया गया। कलश यात्रा का मुख्य उद्देश्य विश्व शांति के दिव्य संदेश का प्रसार व ‘ब्रह्मज्ञान’ के शाश्वत विज्ञान के महत्व को उजागर करना रहा।
भव्य कलश यात्रा द्वारा नोएडा के क्षेत्र वासियों को प्रेरित किया गया कि वे अपने व्यस्त जीवन में से समय निकालकर ईश्वर के प्रेरणादायक संदेशों को श्रवण करने के लिए 7 दिवसीय श्रीमद भागवत कथा में आएं। तथा आंतरिक शांति के शाश्वत मार्ग को जान कर अपना जीवन सफल बनाएं।
कलश यात्रा के माध्यम से श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) की शिष्या साध्वी कालिंदी भारती जी द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले प्रेरणादायक विचारों को श्रवण करने का आह्वान दिया गया। कथा के माध्यम से डीजेजेएस के ‘मंथन’ प्रकल्प के प्रति लोगों को जागरूक किया जाएगा।
यात्रा में अनेकों शिष्यों ने गंगाजल से भरे कलशों को शीश पर धारण किया। उन्होंने लोगों को आध्यात्मिक रूप से जागरूक जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान की। लोगों को अपने अव्यवस्थित जीवन में आंतरिक शांति की स्थापना हेतु खोज आरंभ करने की ओर प्रेरित किया। डीजेजेएस के युवा सेवक ध्वजों व दिव्य नारों के साथ यात्रा में सम्मिलित हुए। उन्होंने क्षेत्र के लोगों का ध्यान डीजेजेएस के ‘मंथन’ प्रकल्प की ओर आकर्षित किया।
समाज पूर्णतः तभी विकसित हो सकता है यदि उसके वंचित वर्ग के बच्चों को समग्र व मूल्यों पर आधारित शिक्षा प्रदान की जाए। इस संदर्भ में ‘मंथन’ के बच्चों के सफलता वृतांत अद्भुत हैं।
इस यात्रा के माध्यम से यह संदेश भी दिया गया कि कथा में सम्मिलित होकर जिज्ञासु अपने जीवन में एक पूर्ण सतगुरु के महत्व को समझ पाएंगे। सतगुरु सत्य पथ के साधकों को अलौकिक ज्ञान की ओर प्रोत्साहित करते हैं। आत्म-साक्षात्कार मनुष्य में आंतरिक रूपांतरण को उद्दीप्त कर बाह्य व आंतरिक जगत में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सूत्रधार सिद्ध होता है। तदोपरांत मानव में समभाव व सार्वभौमिक भाईचारे के भावों का रोपण होता है। ‘ब्रह्मज्ञान’ पर आधारित ध्यान-साधना हमें ईश्वर से जुड़कर, दुःखों व कर्म बंधनों से मुक्ति प्राप्त करने में सक्षम बनाती है।
सभी ने डीजेजेएस द्वारा आयोजित ‘कलश यात्रा’ व उसके पीछे छुपे आध्यात्मिक मर्म की सराहना की।