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श्री कृष्ण के दिव्य दर्शन और आधुनिक जीवन में उनकी शाश्वत प्रासंगिकता को समझाने हेतु दिव्यज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) ने महाकुंभ, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में 30 जनवरी से 05 फरवरी 2025 एक सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का भव्य आयोजन किया। श्री कृष्ण को एक दिव्य मार्गदर्शक के रूप में प्रस्तुत करते हुए उनकी शाश्वत शिक्षाओं और आध्यात्मिक धरोहर पर यह कथाकार्यक्रम केंद्रित रहा। उनके जीवन और उपदेशों में समाहित गहन ज्ञान को इस कथा द्वारा उजागरकिया गया।

DJJS organized Shrimad Bhagwat Katha at Mahakumbh, Prayagraj to highlight Shri Krishnas Legacy as a timeless guide to Inner Peace & Spiritual Growth

श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) की शिष्या कथाव्यास साध्वी वैष्णवी भारती जी ने समझाया कि श्री कृष्ण की शिक्षाएं आंतरिक शांति और सदभाव के लिए मार्गदर्शक है। उन्होंने बताया कि कैसे श्री कृष्ण की शिक्षाएं समय से परे हैं। वह मानव जीवन की समकालीनजटिलताओं का समाधान प्रदान करती हैं एवं प्रत्येक मनुष्य से सत्य, प्रेम और कर्तव्य जैसे मूल्यअनुसार जीवन जीने का सुझाव प्रदान करती हैं। 

कथा व्यास जी ने यह भी रेखांकित किया कि श्री कृष्ण को समझना केवल शास्त्र पढ़ने या उनकी लीलाओं का उत्सव मनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि मानव हृदय के भीतर ही उनकी सर्वव्यापकता का अनुभवात्मक बोध आवश्यक है। श्री कृष्ण केवल एक ऐतिहासिक या पौराणिक व्यक्तित्व नहीं हैं, बल्कि परम सत्य और चेतना के अवतार हैं। श्री कृष्ण की अनेक मनोहारी बाल लीलाएँ, एक मित्र व एक मार्गदर्शक के रूप में उनके कार्य, आनंद और दिव्यता के प्रतीक हैं। विशेष रूप से श्रीमद् भागवत महापुराण में उनके उपदेश आत्मबोध प्राप्त करने और संतुलित जीवन जीने के लिए एक सार्वभौमिक मार्गदर्शक के रूप में काम करते हैं।

DJJS organized Shrimad Bhagwat Katha at Mahakumbh, Prayagraj to highlight Shri Krishnas Legacy as a timeless guide to Inner Peace & Spiritual Growth

साध्वी जी ने सुदामा, द्रौपदी और मीराबाई जी जैसे भक्तों के उदाहरण साझा करते हुए बताया कि कैसे श्री कृष्ण के प्रति विश्वास और प्रेम के बल पर भक्त सभी बाधाओं को पार कर जाता है। मीरा बाई जी ने श्री कृष्ण के प्रति अपनी अडिग भक्ति के माध्यम से दिव्यता की चरम सीमा प्राप्त की। उनकी अविचल भक्ति इस बात का प्रमाण है कि श्री कृष्ण अपने भक्तों से हमेशा जुड़े रहते हैं जो उनके प्रति पूर्ण विश्वास के साथ समर्पित होते हैं।

संस्थान प्रतिनिधि ने यह भी समझाया कि श्री कृष्ण की सच्ची धरोहर आध्यात्मिक जागृति और आत्मबोध में निहित है। एक प्रबुद्ध आध्यात्मिक गुरु द्वारा प्रदान किया गया 'ब्रह्मज्ञान' वह माध्यम है जिसके माध्यम से भक्त श्री कृष्ण से गहरे स्तर पर जुड़ सकते हैं। अंत में, उन्होंने उपस्थित भक्तों को दिव्य ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया, जो दिव्यता से प्रत्यक्ष संबंध स्थापित करने का व्यावहारिक तरीका है। 

इस आयोजन को व्यापक मीडिया कवरेज मिला, जिसने संस्थान के आध्यात्मिक चेतना को पुनर्जीवित करने के ध्येय की झलक को उजागर किया। सभी आयु वर्ग के प्रतिभागियों ने कथा के आध्यात्मिक दृष्टिकोण और आधुनिक जीवन में उसकी प्रासंगिकता की सराहना की। मीडिया ने आध्यात्मिक जागरूकता फैलाने और श्री कृष्ण की शिक्षाओं की गहरी समझ को बढ़ावा देने में संगठन के प्रयासों पर प्रकाश डाला।

यह कथा एक गहन आध्यात्मिक अनुभव साबित हुई, जिसने श्री कृष्ण की शाश्वत धरोहर पर प्रकाश डाला। इसने प्राचीन ज्ञान और आधुनिक चुनौतियों के बीच की दूरी को समाप्त कर दिया, जिससे श्री कृष्ण की शिक्षाएं अधिक प्रासंगिक और सहज रूप से समझने योग्य बन गईं। आत्मबोध पर केंद्रित इस आयोजन ने प्रतिभागियों को नई ऊर्जा के साथ अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू करने के लिए भीप्रेरित किया।

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