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राजस्थानी प्रगति समाज के 45वें रामायण मेले में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान को आमंत्रित किया गया| हैदराबाद, तेलंगाना में दशहरे के अवसर पर आयोजित इस मेले के आखिरी दिन बेंगलुरु शाखा ने प्रदर्शनी लगाई| इस प्रदर्शनी द्वारा अनेक लोगों ने संस्थान के साहित्य के बारे में जाना| साथ ही, संस्थान के सामाजिक-आध्यात्मिक कार्यक्रमों से भी हज़ारों लोग परिचित हुए व अपनी जिज्ञासाओं पर कार्यकर्ताओं से चर्चा की| कार्यकर्ताओं ने धर्म के असली अर्थ, धर्म द्वारा समाज के कल्याण आदि से सम्बंधित बहुत सी भ्रांतियों को बखूबी समझाकर दूर किया| लोगों ने इन कार्यों में सहयोग देने की इच्छा भी जताई| नामपल्ली स्थित प्रदर्शनी मैदान में हुए इस मेले में स्वामी प्रदीपानंद जी को बतौर अतिथि सम्मानित किया गया| स्वामी प्रदीपानंद जी ने उपस्थित जनमानस को संबोधित करते हुए बताया कि दशहरे का उत्सव असत्य पर सत्य की विजय, अँधेरे पर प्रकाश और अज्ञान पर ज्ञान की जीत का प्रतीक है| यह इंसान को राक्षसों जैसे निचले स्वभाव को छोड़कर प्रभु श्री राम जैसे आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा देता है| इसके लिए पहले प्रभु श्री राम को जानने की जरुरत है| समाज में हर युग में रावण की तरह असंत मौजूद रहे और इनका सच भी समय-समय पर सामने आता रहा| इस सच से इंसान को जीवन में रोशनी की तरफ बढ़ने के लिए गुरु का चुनाव करते हुए सजगता की सीख लेनी चाहिए| स्वामी जी ने समझाया कि समाज और इंसान के अंदर के रावण को मारने के लिए गुरु की शरण लें|  उन्होंने जनमानस को शास्त्रों के आधार पर गुरु की पहचान भी बताई| स्वामी प्रदीपानंद जी ने संसथान की और से रामायण मेले के मुख्य अतिथि- पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री बंडारू दत्तात्रेय जी को ‘महायोगी का महारहस्य’ पुस्तक भेंट की| कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट अतिथियों को भी संस्थान की विचारधारा व कार्यक्रमों से परिचित करवाते हुए भेंट दी गई| इस कार्यक्रम में लगभग 2000 लोग शामिल हुए|

DJJS's Active and Effective Participation in 'Ramayan Mela' Hyderabad, Telangana

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