गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा बच्चों में सच्चाई और धार्मिकता के आदर्शों को स्थापित करने हेतु 27 दिसंबर 2019 से 3 जनवरी 2020 तक जोधपुर, राजस्थान में एक 'शीतकालीन शिविर' का आयोजन किया गया। डीजेजेएस स्वयंसेवकों की टीम ने साध्वी उषा भारती जी और साध्वी सिद्धयोग भारती जी के नेतृत्व में बच्चों के लिए रचनात्मक और संज्ञानात्मक पक्ष को विकसित करने हेतु इनडोर और आउटडोर गतिविधियों की एक श्रृंखला का संचालन किया। गैजेट्स और गिज़्मो कल्चर ने समकालीन युगीन बच्चों के लिए महत्वपूर्ण जीवन समस्याओं को बढ़ाया है, जो मुख्य रूप से भावनात्मक स्वास्थ्य, परीक्षा की चिंता, सहकर्मी दबाव, परिवार की अपेक्षाएं, अवसाद और तनाव की जटिलताओं आदि से संबंधित हैं। सभी पीढ़ियों में बच्चे शॉर्टकट और अपनी इच्छाओं की तत्काल संतुष्टि की तलाश करते हैं जिस कारण कई बार वे भ्रमित हो जाते हैं। डीजेजेएस प्रतिनिधियों द्वारा विशेष रूप से डिजाइन किए गए इस शीतकालीन शिविर की सामग्री का उद्देश्य न केवल शारीरिक विकास, बल्कि बच्चों का नैतिक, संज्ञानात्मक और मानसिक-आध्यात्मिक विकास भी रहा। स्वस्थ दिमाग के लिए बच्चों को योग और प्राणायाम सहित कई तरह के शारीरिक व्यायाम भी सिखाए गए। नैतिक और आध्यात्मिक आचरण के लोकाचार को डीजेजेएस प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया व योग में निहित आध्यात्मिक विज्ञान को समझाते हुए बच्चों को कुछ योगिक आसन सिखाए। बच्चों को संगीत, नृत्य और नाटकीयता से लेकर वैदिक मंत्र जाप और आध्यात्मिक विचार-विमर्श आदि गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल किया गया। बच्चों को प्रेरित करने के लिए उन्हें कुछ प्रेरणादायक वीडियो भी दिखाई गईं।
बच्चों ने उत्साहपूर्वक विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए संज्ञानात्मक अभ्यास और समूह मध्यस्थता सत्रों में भाग लिया और वे ध्यान के चिकित्सीय और आध्यात्मिक लाभों से परिचित हुए। शीतकालीन शिविर में मुख्य रूप से बच्चों को उनकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने के लिए संस्कृत और वैदिक विज्ञान पर सत्र शामिल किए गए। साध्वी जी ने बच्चों को समझाया कि वे गैजेट्स और गिज़्मो कल्चर का शिकार न हों और नैतिक और आध्यात्मिक आचरण के उच्च मानकों का पालन करते हुए समाज में अपनी जगह बनाएं।
साध्वी जी ने अंत में बताया कि आधुनिक समय में बच्चों को अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करने वाली सभी नकारात्मकता और अराजकता पर विजय पाने करने के लिए एक जीवन कोच की आवश्यकता है। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी वास्तव में एक दिव्य वैज्ञानिक हैं जो ब्रह्मज्ञान (अनन्त विज्ञान) के माध्यम से आत्मिक स्तर पर बच्चों में आंतरिक क्रांति लाने का प्रयास कर रहे हैं। ब्रह्मज्ञान के अभ्यास से बच्चे अपनी सफलता की यात्रा को पूरा करते हैं, अपने भीतर की खुशियों का आनंद लेते हैं और अपने बाहरी और आंतरिक संघर्षों को दूर करना सीखते हैं, जिससे जीवन में सभी चरणों में चैंपियन बनते हैं। ब्रह्मज्ञान बच्चों को भ्रम, संदेह, व्यसनों आदि को वश में करने और पूर्ण आनंद की प्राप्ति का अधिकार देता है। यह नैतिक और आध्यात्मिक आचरण के उन्नत सिद्धांतों को समझने और उन्हें आत्मसात करने का सही माध्यम है। शीतकालीन शिविर वास्तव में एक बड़ी सफलता थी क्योंकि इसने बच्चों के संज्ञानात्मक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास को सफलतापूर्वक जगाया। शिविर के अंतिम दिन बच्चों ने कायाकल्प अनुभव किया, जो शुद्ध शरीर, मन और बुद्धि के प्रतीक सकारात्मक ऊर्जा से ओत-प्रोत था।