संस्कारशाला- दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के समग्र शिक्षा कार्यक्रम मंथन-सम्पूर्ण विकास केन्द्र द्वारा 4 से 12 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए प्रत्येक माह आयोजित की जाती है। जनवरी माह की संस्कारशाला का विषय था ‘गौरवान्वित संस्कारशाला’।
जनवरी 2023 में, 55 कार्यशालाएँ आयोजित की गई जिनमें से पूरे भारत में 3984 बच्चे लाभान्वित हुए। पूरे भारत में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की शाखाओं के साथ-साथ विभिन्न स्कूलों व आध्यात्मिक संस्थानों में गौरवान्वित संस्कारशालाएँ आयोजित की गई।
प्रत्येक कार्यशाला सत्र का आरंभ बच्चों एवं कार्यकर्ताओं द्वारा शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रोचारण के साथ हुआ। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के प्रचारकों ने गर्व और अहंकार के बीच के अन्तर को समझाया। गर्व जहाँ एक ओर एक मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण करता है वहीं दूसरी ओर अहंकार मनुष्य की बुद्धि नष्ट कर देता है और वह पतन की गहराईयों में गिरने लगता है। आज का युवा ही कल का भविष्य बनेगा यदि आज युवाओं को सुन्दर विचारों के साथ विकसित किया जाऐ तो राष्ट्र के उत्थान की नींव मजबूत होगी इसी भावना के साथ इस विषय को बच्चों के समक्ष रखा गया ताकि आरंभिक स्तर पर ही यह विचार वे हिर्दयस्त कर पाएँ।
इस सत्र में बच्चों को भारत की संस्कृति और उसकी विरासत के बारे में बताया गया कि क्यों हमें अपने देश पर गर्व होना चाहिए। भारत की संस्कृति में आज भी वैदिक परम्परा देखी जा सकती है जो हजारो वर्षों से चली आ रही है। भारत अपनी वास्तुकला, भौगोलिक एकता, अध्यात्मिकता, विभिन्न प्रकार के वनस्पतियों और जीवों से भरा एक विविधता में एकता वाला देश है। प्राचीन भारत के राजवंशों के साथ किलों के इतिहास के बारे में भी बच्चों को बताया गया।
भारत के समृद्ध और गौरवपूर्ण इतिहास को जानकर बच्चे अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने प्रचारकों और कार्यकर्ताओं से भारत की गौरव गाथा को नि:स्वार्थ आगे बढाने का वचन दिया। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने प्रश्नोत्तरी का एक दौर आयोजित किया और बच्चों के सभी प्रश्नों के उत्तर दिए। कार्यशाला का समापन गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी को धन्यवाद देते हुए मङ्गल आरती के साथ हुआ।