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संस्थान “विश्व शांति” के दिव्य लक्ष्य को पूर्ण करने हेतु जन-जन को ब्रहमज्ञान द्वारा शांति के मार्ग की ओर अग्रसर कर रहा है| इस लक्ष्य की सिद्धि हेतु संस्थान द्वारा अनेक आध्यात्मिक व् सामजिक गतिविधियाँ चलायी जा रही है| इसी श्रृंखला में समाज को भारतीय संस्कृति व् अध्यात्म से अवगत करवाने हेतु विशाल सत्संग कार्यक्रम व् भंडारों का आयोजन भी किया जाता है| इसीके अंतर्गत दिल्ली शाखा द्वारा हर माह के पहले रविवार को दिव्य धाम आश्रम में कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है| इसमें हज़ारों साधक उपस्थित हो आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग की ओर अग्रसर होते हैं| 3 सितम्बर को आयोजित हुए कार्यक्रम का शुभारम्भ ब्रह्मज्ञानी वेद पाठियों द्वारा वैदिक मंत्र उच्चारण से किया गया| तदुपरांत सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के साधक शिष्य व् शिष्याओं ने गुरु भक्ति व् उत्साह से परिपूर्ण सुमधुर भजनों का गायन किया| साध्वी मनीषा भारती जी, साध्वी भावना भारती जी, साध्वी शिवा भारती जी व् साध्वी श्यामा भारती जी ने भक्ति पथ पर बढ़ने हेतु बहुमूल्य विचारों को प्रदान किया| स्वामी नरेन्द्रानंद जी ने इतिहास से गुरु-शिष्य परम्परा से सम्बन्धित अनेक उदहारण देते हुए जीवन में सतगुरु की अनिवार्यता पर प्रकाश डाला| उन्होंने बताया कि गुरु के अभाव में मानव जीवन व्यर्थ है, इसलिए मानव को अपने जीवन में आध्यात्मिक गुरु की शरण में अवश्य जाना चाहिए| साथ ही उन्होंने समझाया कि शास्त्रों के अनुसार गुरु किसी वेश का नाम नहीं है| गुरु तो वह शक्ति है जो घट भीतर ईश्वर का साक्षत्कार करवाने में सक्षम होते हैं| जब-जब भी समाज गुरु की इस पहचान को भूलता है तब-तब रावण जैसे असंत उनकी श्रद्धा का हरण कर लेते है| ध्यान सत्र के अंतर्गत ब्रह्मज्ञानी साधकों ने निरंतर भक्ति मार्ग पर बढ़ने व् विश्व शांति हेतु सामूहिक प्रार्थना की|

Gurudev as the Beacon of Peace Reiterated at Divya Dham Monthly Congregation

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