किसी भी संस्थान के कार्य क्षेत्र में अधिकतम प्रभावकारिता और सकारात्मकता उस संस्थान से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति के विकास पर निर्भर करती है क्योंकि वे ही उस संस्था के केंद्र-बिंदु हैं। प्रेरणाहीन मनुष्य ऊर्जावान रहते हुए भी न केवल समाज के उत्थान में अपना योगदान देने में अक्षम रह जाता है, यहाँ तक कि स्वयं के लक्ष्य के प्रति भी उदासीन हो जाता है। इसलिए आवश्यक है कि समय-समय पर प्रेरणादायक विचारों का आदान-प्रदान बना रहे ताकि व्यक्तिगत विकास की प्रक्रिया चलती रहे।
सकारात्मक विचारों की श्रृंखला से प्रत्येक कार्यकर्ताओं को सराबोर करने हेतु दिव्य ज्योति वेद मंदिर की ओर से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका विषय रहा- ज्ञानाञ्जनशलाकया।
सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के पावन मार्गदर्शन में संस्थापित *दिव्य ज्योति वेद मंदिर (DJVM)* एक शोध-आधारित शैक्षिक संगठन है जो वेदों और उपनिषदों के प्राचीन ज्ञान को जानने और संस्कृत भाषा को जन-जन में प्रसारित करने हेतु संलग्न है।
2021 के मई माह में अभी तक इस कड़ी में कुल 5 सत्रों का आयोजन किया जा चुका है जिनसे लगभग 3300 से अधिक कार्यकर्ता लाभान्वित हो चुके हैं। सत्र की अध्यक्षता संस्थान की परिचारिका साध्वी दीपा भारती जी ने की जिन्होंने प्रेरणादायक वचनों के माध्यम से कार्यकर्ताओं को सदैव श्रेष्ठ चिंतन व कर्मों में संलग्न रहने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने एक सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका को प्रकाशित करते हुए कहा कि एक सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका बहुत ही अहम होती है। वह सहायक के रूप में समाज को मार्गदर्शन प्रदान करने तथा सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न प्रकार की व्यवस्थाओं एवं प्रावधानों के लिए उत्तरदायी होता है। कोरोना महामारी के इस अभूतपूर्व समय में ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से वैदिक ज्ञान और संस्कृत भाषा को जन-जन तक पहुँचाकर जिस प्रकार सभी ने विपरीत परिस्थितियों में भी समाज के प्रति अपने दायित्व का उत्साहपूर्वक निर्वाह किया है, उसके लिए उन्होंने सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने सभी के समर्पण और निस्वार्थ भाव के इस अद्भुत मेल की भरपूर सराहना की। इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रांतों के कार्यकर्ताओं ने सेवा के प्रति अपने विचार और अनुभवों को साझा किया जिसने दूसरों की सेवा भावना को और भी दृढ़ किया। इसके साथ ही सभी ने सेवा के दौरान आई चुनौतियों और उनके समाधान भी एक-दूसरे के समक्ष रखे, जिससे कि समान परिस्थिति में उन्हें एक-दूसरे के अनुभव का लाभ मिल सके। ऐसे ही प्रेरणाप्रद विचारों के साथ सत्र को विराम दिया गया।
संस्थान के द्वारा ऐसे ही उत्साहवर्धक कार्यक्रमों का समय-समय पर आयोजन किया जाता है जिससे सभी कार्यकर्ताओं को उचित मार्गदर्शन मिलता रहे।