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वर्तमान परिवेश में फ़ो मो (फिअर ऑफ़ मिसिंग आउट) अर्थात गायब हो जाने  का डर नामक सामाजिक समस्या प्रचलन में है।  यह समस्या हमारे समाज की उस स्थिति को दर्शा रहा है जहाँ बात  मात्र एक अवसर के खो जाने की नहीं है। यह स्तिथि  लोगों की सीमित बुद्धि के आधार पर लिए गए अनुचित निर्णयों को दर्शाता है जिसके परिणामस्वरूप आज उनके जीवन में शांति का अभाव है। समाज की  इसी बिगड़ी स्तिथि को पूर्ववत करने हेतु समाज के कई प्रतिष्ठित सदस्यों द्वारा कईं प्रयास किये जा रहे हैं। इसी दिशा में  8 फरवरी 2019 को पंजाब के जालंधर के एपीजे इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्निकल कैम्पस में तनाव प्रबंधन पर एक उत्तेजक व्याख्यान का आयोजन किया गया। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी ओमप्रभा भारती जी इस व्याख्यान की प्रमुख वक्ता थीं।

Healing Stress with Divine Knowledge: Lecture on Stress Management at Apeejay Institute of Management Technical Campus (Jalandhar), Punjab

साध्वी जी ने कहा कि मनुष्य में असीम क्षमताएं होती हैं जोकि जीवन में आने वाली समस्याओं से लड़ने में उसकी मदद करती है किन्तु उसे जीवन में कुछ ऐसे क्षणों की आवश्यकता होती है जिनमें वो स्वयं के भीतर नयापन एवं शांति स्थापित कर पाए। मन एक दोहरी धार वाली तलवार के समान है जिसके अनुचित प्रयोग से विनाशकारी परिणाम भुगतने पड़ सकते है। किसी भी कार्य को उचित प्रकार से करने हेतु मनष्य के भीतर विवेक जागृत होना आवश्यक है। उसके मन के भीतर चलते विचारों पर विवेक का सेतु होना नितांत आवश्यक है जिसके निर्माण की नींव एक पूर्ण संत द्वारा प्रदत ब्रह्मज्ञान द्वारा की जाती है।

एक पूर्ण सतगुरु अपने शिष्य को ब्रह्मज्ञान, जिसका वर्णन हमारे सभी धर्म ग्रंथों में निहित है, प्रदान कर उसके तृतीय नेत्र को खोल उसके जीवन में शाश्वत भक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं जिस पर चलते हुए एक शिष्य के जीवन में आधारभूत परिवर्तन आते हैं। पूर्ण गुरु कभी भी कोई भौतिक वस्तु प्रदान नहीं करते और ना ही कोई मंत्र, जाप, अथवा माला देते हैं अपितु सतगुरु तो अपने शिष्य के मस्तक पर हाथ रख उसके दशम द्वार को खोल उसे ईश्वर का साक्षात्कार कराते हैं। ब्रह्मज्ञान के दिव्य प्रभाव से व्यक्ति का विवेक जागृत होता है और उसके भीतर एक सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है जिससे उसका मन एवं बुद्धि निर्मल होती है। ब्रह्मज्ञान के प्रभाव से मनुष्य जीवन में सही पथ की ओर अग्रसर हो पाता है। सत्र का अंत करते हुए साध्वी जी ने उपस्थित जनसमुदाय को आध्यात्म पथ को समझ उस ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया एवं बताया कि दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वार ईश्वर पिपासु भक्त आत्माओं के लिए सदैव खुले हैं।

Healing Stress with Divine Knowledge: Lecture on Stress Management at Apeejay Institute of Management Technical Campus (Jalandhar), Punjab

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