दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) के संस्थापक एवं संचालक गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की असीम अनुकंपा द्वारा 16 से 20 नवंबर 2022 तक जम्मू और कश्मीर में पाँच दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन किया गया। कथा व्यास साध्वी शची भारती जी के विवेकपूर्ण व्याख्यान व गहन ज्ञान ने अनेक श्रद्धालुओं को आकर्षित किया।
साध्वी जी ने भगवान राम के चुनौतीपूर्ण जीवन का मार्मिक वर्णन प्रस्तुत करते हुए समझाया कि प्रभु श्री राम ने अपने जीवन की प्रत्येक चुनौती का सामना सत्यनिष्ठता व वीरता के साथ किया था। यही कारण है कि हजारों वर्ष बाद, आज भी श्री राम कथा जन-मानस में अपनी प्रासंगिकता को बनाए हुए है। उन्होंने समझाया कि भगवान राम का जीवन यही सिखाता है कि निःस्वार्थ भाव से संकल्प का पालन करना किसी भी प्रकार के विलास से श्रेष्ठतर होता है।
श्री राम ने रावण, मेघनाद, कुंभकरण, ताड़का आदि राक्षसों को युद्ध में पराजित कर शांति को पुनर्स्थापित किया। ऐसा कर उन्होंने आश्रमों में ध्यान-साधना का अनुकूल वातावरण स्थापित करने में ऋषियों का सहयोग भी दिया। अपने पराक्रम से जिस लंका पर विजय प्राप्त की, उसी का राज्य त्याग कर उन्होंने भक्त-समाज को त्याग व तितिक्षा का आदर्शपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत किया।
साध्वी जी ने समझाया कि भगवान राम ने अपने भक्तों को ब्रह्मज्ञान का आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान कर जीवन के वास्तविक उद्देश्य का बोध करवाया था। उन्होंने सामान्य जन को लालच व स्वार्थ का त्याग कर विकार रहित जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान की थी।
साध्वी जी ने कहा कि प्रभु श्री राम की तरह ही आज श्री आशुतोष महाराज जी ने भी विश्व भर में अपने अनेकों शिष्यों को ब्रह्मज्ञान प्रदान किया है। ब्रह्मज्ञान से युक्त यह सामान्य जन ध्यान-साधना और विभिन्न सामाजिक प्रकल्पों में अपना योगदान प्रदान कर रहे हैं।
श्री राम कथा संस्थान के सामाजिक प्रकल्प अंतर्दृष्टि- नेत्रहीन एवं विकलांग वर्ग के उत्थान व आर्थिक स्व-निर्भरता को समर्पित रही। अंतर्दृष्टि के प्रतिभागियों को विभिन्न उपयुक्त परियोजनाओं पर प्रशिक्षित कर आत्म-सम्मान व स्वाभिमान पूर्ण जीवन जीने का अवसर प्रदान किया जाता है। कथा के मंच पर उपस्थित प्रवक्ता व संगीतकार सहित सभी प्रतिभागी दृष्टिबाधित होते हुए भी आध्यात्मिक रूप से जागृत थे। मंत्रमुग्ध करती इस कथा को प्रस्तुत करने के उनके प्रयासों को उपस्थित श्रोताओं ने गहरी कृतज्ञता सहित ग्रहण किया।
साध्वी शची भारती जी ने अपने व्यक्तिगत अनुभव को साँझा करते हुए बताया कि किस प्रकार ब्रह्मज्ञान द्वारा उनके जीवन का पूर्ण रूपांतरण हुआ और कैसे दृष्टिहीन होते हुए भी वह गुरु महाराज जी के सान्निध्य व संरक्षण को पूर्ण रूप से महसूस करती हैं।
उपस्थित श्रद्धालुओं ने डीजेजेएस के आयोजकों व सेवकों की सराहना करते हुए ब्रह्मज्ञान के आध्यात्मिक ज्ञान में गहन रुची व्यक्त की।