ग्रीष्मकालीन शिविर छात्र के विद्यालयी जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है । यह छुट्टियों में आयोजित एक पर्यवेक्षित कार्यक्रम है जो आमतौर पर बच्चों के लिए व्यवस्थित किया जाता है जिसका एकमात्र उद्देश्य होता है की छात्र अतिरिक्त पाठ्यचर्या गतिविधियों में भाग लें और खुद को हर क्षेत्र में श्रेष्ठ बना पाएं ।
मुख्यतः यह शिविर बच्चों के कौशल का संवर्धन कर उनके समग्र विकास में सहायता करता है । इन शिविरों में मनोरंजन करने के साथ -साथ टीम वर्क ,सोशलाईजिंग ,निर्णय लेने,स्वतंत्र जिम्मेदार रहना और अन्य विभिन्न जीवन कौशल से छात्रों को लैस किया जाता है ।
इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार भी दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के मंथन प्रकल्प के तहत विद्यार्थियों के समग्र विकास हेतु सभी संपूर्ण विकास केन्द्रों पर ज्ञानवर्धक व मनोरंजक ग्रीष्म शिविर लगाया गया ।
नन्हें पौधों को लहलहाने का सुनहरा अवसर दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का सामाजिक प्रकल्प मंथन – संपूर्ण विकास केंद्र अभावग्रस्त बच्चों को मूल्याधारित शिक्षा प्रदान करता संपूर्ण शिक्षा कार्यक्रम है जिसके अंतर्गत पूरे देश में 18 संपूर्ण विकास केंद्र चलाए जा रहे हैं जिसका मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को विविध स्तर जैसे शैक्षणिक ,शारीरिक ,मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर पोषित कर उनमें नैतिक मूल्यों को उन्नत करना है ।
इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए बच्चों के समग्र विकास हेतु मंथन द्वारा सभी संपूर्ण विकास केन्द्रों पर 11जून से 30 जून तक ग्रीष्म शिविर लगाया गया जिसमे बच्चों को वैदिक गणित तथा कला एवं शिल्प का विशेष ज्ञान करवाया गया ।
वैदिक गणित : बच्चों ने सीखा मनोरंजक गणना पद्धति
इस ग्रीष्म शिविर में बच्चों को मंथन के शिक्षकों द्वारा गणना की मनोरंजक पद्धति वैदिक गणित द्वारा सिखाया गया । साथ ही उन्हें बताया गया की वैदिक गणित अंकगणितीय गणना की वैकल्पिक एवं संक्षिप्त विधियों का समूह है । इसमें 16 सूत्र हैं तथा वैदिक गणित गणना की ऐसी पद्धति है जिससे जटिल अंकगणितीय गणनायें अत्यंत ही सरल ,सहज व त्वरित संभव है । इस सत्र में बच्चों अंकगणितीय जोड़ ,घटाव ,गुणा ,भाग आदि को वैदिक गणित के सरलतम विधियों द्वारा हल करना सीखा जो की उन्हें अत्यधिक रोचक व सरल लगा । इस दौरान बच्चों ने उत्साहित होकर कुछ वैदिक गणित के सरल पद जैसे निखिलं ,एकाधिकेन पूर्वेंण इत्यादि सीखा । यह संपूर्ण सत्र ज्ञानवर्धक रहा ,बच्चों ने अपनी पूर्ण सहभागिता दिखाई । यह वैदिक गणित सत्र ग्रीष्म शिविर के प्रारंभिक पाँच दिनों के लिए आयोजित किया गया ।
कला एवं शिल्प सत्र द्वारा बच्चों का बहुधा कौशल विकास
ग्रीष्म शिविर के इस सत्र में बच्चों ने शिल्प कला के माध्यम से अपने अन्दर की प्रतिभाओं को बाह्य रूप दिया । इस सत्र में बच्चों को समझाया गया की शिल्प कला ऐसे कलात्मक कार्य को कहते हैं जो उपयोगी
होने के साथ साथ सजाने के काम आता है तथा जिसे मुख्यतः हाथ से या सरल ओजारों की सहायता से ही बनाया जाता है तथा ऐसी कलाओं का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व भी होता है । साथ ही इस सत्र में बच्चों को इस कला का अभ्यास कराया गया। बच्चों ने अनुपयोगी वस्तुओं से उपयोगी वस्तुओं (best out of waste) का निर्माण करना सीखा जैसे –प्लास्टिक की बोतल द्वारा लैंप ,झालर ,फूलदान ,स्टैंड आदि ;अखबार द्वारा फोटोफ्रेम ,थैले ,पुष्पादि ;आइसक्रीम की लकड़ियों द्वारा ब्रासलेट, माला, खिलौना ,टोकरी आदि ;पुराने खराब सी डी द्वारा भगवान गणेश जी की प्रतिमा ,डिब्बे ,झालर आदि । यह सत्र लगभग १० दिन चला । बच्चों ने बहुत उत्साहित होकर संपूर्ण सत्र का लाभ उठाया ।
इसके अतिरिक्त बच्चों को चित्रकला ,संगीत , नृत्य आदि भी सीखाये गये । इस ग्रीष्म शिविर के दौरान बच्चों के स्वास्थ्य लाभ हेतु 21 जून को अंतराष्ट्रीय योग दिवस भी मनाया गया । इन सभी सत्रों में बच्चों ने अपनी सक्रिय भागीदारिता दिखाई।
पूजनीय गुरुदेव सर्व श्री आशुतोष महाराजजी के दिशानिर्देशन में मंथन संपूर्ण विकास केन्द्रों के माध्यम से अनेकों अभाव ग्रस्त बच्चों का सम्पूर्ण विकास करने को तत्पर है ।
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