देवी दुर्गा अर्थात वह शक्ति जो दुर्गम एवं अजेय है एवं देवियों के मुख्य रूपों में से एक है। माँ दुर्गा को शक्ति की परिचायक माना जाता है। माँ दुर्गा सिंह पर विराजमान होती है। पतित पावनी माँ हमारे हृदयों से ईर्ष्या एवं अहंकार रुपी तम का नाश करती है।
जीवन में सकारात्मकता एवं ब्रह्मज्ञान के माध्यम से विश्व में शान्ति की ओर बढ़ते प्रयासों की श्रृंखला में डीजेजेएस ने 3 अगस्त, 2019 को पंजाब के तरनतारन क्षेत्र में "माता की चौकी" का भव्य आयोजन किया। कार्यक्रम का आरम्भ माँ दुर्गा के चरण कमलों की स्तुति के साथ किया गया। कार्यक्रम में भक्तिमय भजनों एवं ओजस्वी विचारों द्वारा माँ दुर्गा की महिमा का गुणगान किया गया।
कार्यक्रम संचालक साध्वी मंगलावती भारती जी ने समझाया कि ब्रह्म एक है , उसके सृजन एवं संहार करने की शक्ति का नाम ही दुर्गा एवं शक्ति है जो सौंदर्य, ज्ञान, वैभव, धन-सम्पदा, पवित्रता, प्रेम एवं आत्मबोध की प्रतिमूर्ति है। दैत्य महिषासुर का वध कर माँ ने बुराई पर अच्छाई, अज्ञान पर ज्ञान और अधर्म पर धर्म की विजय का सन्देश दिया। ममतामयी माँ स्वार्थ, ईर्ष्या, घृणा, क्रोध एवं अहंकार जैसी दुष्प्रवितियों को नष्ट कर मानव जाति को सदैव बुराई और दुख से बचाती है। किन्तु, माँ के वास्तविक स्वरुप को अनुभव किए बिना हम उनकी कृपा को नहीं पा सकते।
साध्वी जी ने बताया कि प्रत्येक मानव के भीतर उस दुर्गा का वास है। हम सभी के अंदर असीमित ऊर्जा एवं शक्ति है, और आज आवश्यकता है उसी शक्ति को जाग्रत करने की तभी हम अपनी भीतर महिषासुर रुपी बुरी शक्तियों का अंत कर पाएंगे। आत्म जाग्रति का एक मात्र माध्यम ब्रह्मज्ञान है जो एक ब्रह्मनिष्ठ गुरु द्वारा प्रदान किया जाता है। ब्रह्मज्ञान रुपी खड़ग से ही हम स्वयं का कल्याण एवं समाज में फैली कन्या भ्रूण हत्या, नशा, महिला उत्पीड़न, हत्या जैसे जघन्य अपराधों का समूल नाश कर पाएंगे। आज आवश्यकता है संकीर्ण मानसिकता को छोड़ ब्रह्मज्ञान को प्राप्त कर अपने भीतर की असीमित शक्तियों को जाग्रत करने की।
माँ दुर्गा की दिव्य लीलाओं के पीछे निहित गूढ़ रहस्यों को उजागर करते इस कार्यक्रम का सभी ने पूर्ण आनंद उठाया। कार्यक्रम का समापन मंगल आरती एवं प्रसाद वितरण के साथ किया गया।