समाज के आचार- विचारों में परिवर्तन ने मनुष्य की चिंतन- प्रक्रिया को भी बदल दिया है l इस प्रतिस्पर्धा में आगे रहने के लिए मनुष्य लगातार दौड़ रहा हैं l अपने वास्तविक आत्म से अलग, प्रार्णी सच्ची खुशी से दूर हो गया हैं l अस्थायी भौतिकवादी इच्छाओं की लालसा चिरस्थायी आनंद से अधिक हो गयी हैं l लोग बिना सोचे समझे नई कार्यप्रणाली को लागू कर रहे हैं l
यह सच हैं कि कष्ट को समाप्त करने और परम सत्ता के साथ एकत्व प्राप्त करने का महत्वपूर्ण साधन ध्यान हैं l यह एक मार्ग हैं जो गति से शांति और स्थिरता को सीमित से असीमित ब्रह्माण्ड तक ले जाता हैं l यह हमारे सोचने एवं निर्णय लेने की क्षमता को अधिक सामान्य और जोरदार तरीके से संतुलित करने में उल्लेखनीय सहायता करता हैं तथा एकाग्रता और फोकस में सुधार लाता हैं l क्या आँखे बंद करना और एक घंटे के लिए बैठना ध्यान हैं ? क्या आँखे बंद करके मौन में बैठे रहना, विचारों के भंवर और अशांति को मार सकता हैं ? क्या यह अंतर्घट के दिव्य ज्ञान के द्वार खोलता हैं ? जवाब निश्चित रूप से नहीं होगा l
अंदर से फूट रहे विश्वासों और भावनाओं का ज्वालामुखी तभी खत्म होता हैं जब हम ईश्वर का साक्षात्कार करते हैं और यह समझते हैं कि ये सांसारिक परिवार केवल वही रुकावटे हैं जो हमे अपने अंतिम व परम लक्ष्य को प्राप्त करने से रोकते हैं l इस भौतिकवादी पूर्वापेक्षाओं के दुष्चक्र से अशांत मानव को मुक्त करने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक श्री आशुतोष महाराज जी ने ब्रह्मज्ञान (दिव्य ज्ञान) का एक अमूल्य उपहार दिया हैं, जो न केवल अंतर्घट में विराजमान उस परम शक्ति परमात्मा के दर्शन करवाता हैं बल्कि अंदर की अराजकता को भी समाप्त कर देता हैं l
समाज को ध्यान के वास्तविक उद्देश्य समझाने के लिए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के प्रतिनिधियों ने 8 सितम्बर 2019 को बरेली, उत्तर प्रदेश में एक और आध्यात्मिक सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया l असंख्य श्रद्धालु जीवन में ध्यान एवं ब्रह्मज्ञान के महत्व को जानने के लिए पहुँचे l गुरु महाराज जी के पवित्र चरणों में प्रार्थना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ, इसके बाद भजन गाए गए जो श्रोताओं को आध्यात्मिकता की रहस्यमय दुनिया में ले गए l साधवी जी ने स्पष्ट किया कि ब्रह्मज्ञान प्राप्त करके तथा प्रतिदिन बिना किसी त्रुटि के अभ्यास करने से मन और आत्मा का पुनुरुद्धार हो सकता हैं और मनुष्य शाश्वत प्रसन्नता को प्राप्त कर सकता हैं l कार्यक्रम का आयोजन सफल रहा क्योंकि भक्तजनों ने संतोष का अनुभव किया तथा ध्यान कर विश्व शांति के लक्ष्य में अपने विश्वास को दृढ किया l