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हम जीवन के दुष्चक्र में फंस जाते हैं और सोचते हैं- “हमारे साथ ऐसा क्यों हो रहा है!”  हम जीवन में इतनी सारी समस्याओं का सामना क्यों कर रहे हैं, यद्यपि हमने जानबूझकर किसी को नुकसान नहीं पहुँचाया है। परन्तु हम हमेशा यह भूल जाते हैं कि हर क्रिया की बराबर प्रतिक्रिया होती है। भले ही हम जानबूझकर कुछ गलत नहीं कर रहे हैं, फिर भी अनजाने में हम अक्सर कुछ गलतियां करते हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण परिणामों में बदल जाती हैं। सचेत होने का अर्थ मात्र व्यक्ति को शारीरिक रूप से सतर्क होना नहीं है। मानसिक स्तर पर भी हमें सचेत रहना होगा। हमारा दिमाग दोधारी तलवार के समान है। हम इसे कैसे संभालते हैं यही हमारे जीवन का निर्धारण करता है। मन को प्रशिक्षित करना तभी संभव है जब हम एक पूर्ण गुरु का मार्गदर्शन प्राप्त करें, जो हमें आत्म-जागृति और आध्यात्मिकता के मार्ग पर ले जाएं।

Monthly Spiritual Congregation Explained the Path of Spirituality to Control the Mind at Jodhpur, Rajasthan

सतगुरु द्वारा ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने के बाद भी कई बार हम आध्यात्मिक शिखर को प्राप्त करने के मार्ग को खो देते हैं। ऐसी स्थितियों में हमें आवश्यकता है कि हम सतगुरु के मार्गदर्शन में चलें। जिस प्रकार एक उल्टा कटोरा पानी से नहीं भरा जा सकता है उसी प्रकार यदि हमारा श्रद्धा का पात्र उल्टा है तो हम भी गुरु की कृपा प्राप्त नहीं कर सकते हैं। यही कारण है कि हमें सदैव गुरु-शिष्य संबंध को मजबूत रखना चाहिए। इस बंधन को बढ़ाने और समृद्ध करने के लिए, हर महीने दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा विभिन्न स्थानों में मासिक आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। ऐसा ही एक मासिक कार्यक्रम जोधपुर, राजस्थान में 8 दिसंबर 2019 को आयोजित किया गया, जहाँ बड़ी संख्या में भक्त, अध्यात्म का अनुभव करने के लिए एकत्रित हुए।

डीजेजेएस प्रतिनिधि ने सतगुरु के साथ आध्यात्मिक जुड़ाव को मजबूत करने के तरीकों को समझाया। उन्होंने बताया कि मन को ध्यान द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। गुरु के साथ जुड़ने का माध्यम साधना ही है। साधना द्वारा हमें आत्म-मूल्यांकन करने का अवसर मिलता है और हमारे भीतर कृतज्ञता का बीज पैदा होता है। आभार की भावना आंतरिक दुनिया में बढ़ने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। ईश्वर के प्रति कृतज्ञता हमारी हर क्रिया, विचारों, वाणी या कर्मों में होनी चाहिए। हमारे जीवने में सदैव सतगुरु के प्रति आभार व्यक्त करती प्रार्थना होनी चाहिए, जिन्होंने हमें परमात्मा का दर्शन प्रदान किया।

Monthly Spiritual Congregation Explained the Path of Spirituality to Control the Mind at Jodhpur, Rajasthan

भक्ति भजनों द्वारा पूरी सभा में पवित्रता और दिव्यता स्पंदित हुई। भक्तों पर आध्यात्मिक प्रभाव पड़ा, जिससे भक्तों ने स्वयं को माया से दूर व प्रभु के समीप अनुभव किया। निस्वार्थ सेवकों ने भाईचारे और दृढ़ इच्छा शक्ति मूल्यों को प्रतिबिंबित किया। साथ ही संदेश दिया कि एक जागृत व्यक्ति ही अनेक लोगों को जागृत कर सकता हैं तथा इसी के द्वारा समाज में सकारात्मकता का दिव्य प्रभाव पैदा होता है।

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