दिल्ली के दिव्य धाम आश्रम में गुरुपूर्णिमा महोत्सव को विशेष उत्साह व् उल्लास के साथ मनाया गया| इस अवसर पर अनेक भक्त श्रद्धालुओं उपस्थित रहे| कार्यक्रम का शुभारम्भ ब्रह्मज्ञानी शिष्यों द्वारा वेद- मंत्र उच्चारण से हुआ| आरम्भ में उपस्थित भक्तों ने सामूहिक साधना सत्र व् आरती में भाग लेते हुए विश्व शांति व् गुरु भक्ति की तरंगों से वातावरण को तरंगित किया| उसके उपरान्त सत्संग कार्यक्रम व् दिव्य भजनों का गायन किया गया| साध्वी परमा भारती जी ने भक्ति मार्ग पर बढ़ने के अनेक सूत्रों से उपस्थित भक्त- समूह को परिचित करवाया| साध्वी आस्था भारती जी व् साध्वी शिवानी भारती जी ने भी आध्यात्मिक विचारों को रखा| इस बार कार्यक्रम का विशेष आकर्षण साईं बुल्लेशाह पर दर्शायी गयी नाटिका रही| इस नाटिका के माध्यम से सर्व श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा दीक्षित युवा शिष्यों ने गुरु-शिष्य सम्बन्ध व् गुरु भक्ति के सुंदर सूत्रों को रखा| byte... इस नाटिका द्वारा बताया गया कि किस प्रकार गुरु अपने शिष्य के पूर्ण विकास के लिए उसके छोटे से छोटे अवगुण व् दोषों को समाप्त करने के लिए प्रयासरत रहते है| गुरु का हर रूप शिष्य का कल्याण करने वाला होता है| जिस प्रकार से वैद्य रोगी को रोग मुक्त करने के लिए उसे कड़वी औषधि देता है उसी प्रकार कई बार गुरु भी शिष्य के विकारों रूपी रोगों का अंत करने के लिए कठोर व्यवहार करते है| शिष्य विकास हेतु गुरु अपने शिष्यों को विरह की अग्नि से भी गुजारते है| विरह वह अग्नि है जिसकी आंच में तपकर ही शिष्य कुंदन के समान बनता है| सभी उपस्थित श्रद्धालुओं ने इस नाटिका को खूब सराहा| इस अवसर पर संस्थान के समाजिक कार्यक्रमों की प्रदर्शनी भी लगाई गयी थी| कार्यक्रम के अंत में उपस्थित भक्तों में गुरु भक्ति से ओतप्रोत ऊर्जा व् उत्साह का संचार पाया|
Subscribe Newsletter
Subscribe below to receive our News & Events each month in your inbox