पूर्ण सतगुरु के शिष्यों को अमृतमयी प्रवचनों द्वारा भक्ति पथ पर सुदृढ़ एवं ऊर्जान्वित करने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में 11 सितंबर 2022 को नूरमहल, पंजाब की पावन भूमि पर भव्य मासिक आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आध्यात्मिक ऊँचाइयों तक ले जाने वाले भजनों और प्रवचनों ने आयोजन स्थल और उसके आस-पास के क्षेत्र में भक्तिमय मनमोहक वातावरण पैदा किया। उपस्थित भक्तों के दिलों से समाज में सभी के कल्याण व विश्व शांति के लिए और अपने गुरु के दिव्य मिशन के लिए दिव्य प्रार्थनाएं निकलीं। जिसने आनंदमय ऊर्जा की गति को और बढ़ा दिया|
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण सेवा के महत्व व उसकी सारगर्भिता पर प्रकाश डालता दिव्य संदेश रहा। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के प्रचारक शिष्यों ने समझाया कि सत्यपथ के साधक सेवा को अपनाकर आसानी से सत्य के मार्ग पर चल सकते हैं। एक शिष्य या तो संसार का उपासक बन सकता है या सृष्टिकर्ता का सच्चा भक्त बन सकता है। दिव्य गुरु की समाधि का समय शिष्यों को अपने मन को दोषों से दूर कर पूरी तरह से शुद्ध होने और गुरु चरणों में बिना शर्त सेवा द्वारा परम आनंद की स्थिति प्राप्त करने के लिए स्वयं पर काम करने का एक सुअवसर है।
व्यावहारिक रूप से अध्यात्मवादी के लिए अपने सांसारिक प्रयासों या कर्तव्यों को पूरी तरह से त्यागना संभव नहीं है, न ही दिव्य गुरु ने कभी इसकी सिफारिश की है। हमारे जीवन के सर्वोच्च लक्ष्य को प्राप्त करने का एकमात्र तरीका है- गुरु आज्ञाओं को प्राथमिकता देना अर्थात ध्यान, निःस्वार्थ सेवा और सर्वशक्तिमान के शाश्वत नाम से जुड़े रहना। चाहे संत कबीर हों या हनुमान जी या इतिहास के पन्नों में अंकित कोई अन्य भक्त... वे सभी सतत शाश्वत नाम सुमिरन एवं सेवा की शक्ति से ही असंभव कार्यों को संभव कर पाए।
प्रचारकों ने समझाया कि सत्पथ कमजोर दिल या अस्थिर प्रवृत्ति वाले लोगों के लिए नहीं है अपितु यह तो श्रेष्ठ त्याग और ज्ञान अग्नि में आहुति की मांग करता है। वह ज्ञान अग्नि जिसे पूर्ण सतगुरु दीक्षा के समय तृतीय नेत्र को जागृत कर शिष्य के अंतःकरण में प्रकट करते हैं। अब यह हमारा कर्तव्य बनता है कि अंतःकरण में प्रज्ज्वलित उस दिव्य ज्योति से निरंतर प्रकाशित होकर अपने वास्तविक एवं शुद्ध स्वरूप को प्राप्त करें और विश्व शांति के दिव्य मिशन में अपनी सेवा अर्पित करें।
कार्यक्रम का लाभ लेने के लिए शहर और अन्य नजदीकी क्षेत्रों से सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुँचे। सत्संग की उत्साहवर्धक और दिव्य तरंगों ने उपस्थित भक्तों के हृदयों को गुरु प्रेम से सराबोर कर दिया। गुरु की कृपा प्रत्येक शिष्य पर समान रूप से बरसती है, परंतु जो विषम परिस्थितियों में भी अटूट धैर्य का परिचय देते हैं अंततः वही स्वर्णिम इतिहास रचते हैं।