भारतीय विज्ञान का विकास प्राचीन समय में ही हो गया था। यदि कहा जाए कि भारतीय ज्ञान-विज्ञान की परंपरा विश्व की प्राचीनतम परंपरा है,तो इसमें अतिश्योक्ति नहीं होगी। आज की युवा पीढ़ी, जिसके मन-मस्तिष्क में यह भावना घर कर गयी है कि सभी वैज्ञानिक आविष्कार पश्चिम देशों की देन है, उनके लिए यह जानना नितांत आवश्यक है कि पश्चिमी देशों के लोगों ने भी कहीं-न-कहीं भारतीय वैदिक विज्ञान को आधार मानकर ही इन आविष्कारों को मूर्तरूप दिया है।
मानव कल्याण हेतु विज्ञान के क्षेत्र में भारत के अतुलनीय योगदान और उसके महत्व को व्यापक तौर पर प्रसारित करने के लिए हर वर्ष 28 फरवरी को “राष्ट्रीय विज्ञान दिवस” के रूप में मनाया जाता है। इसी अवसर का लाभ उठाते हुए मंथन-सम्पूर्ण विकास केंद्र ने भी 2021 के फ़रवरी माह को "राष्ट्रीय विज्ञान माह" के रूप में मनाया, जिसके अंतर्गत वेद व शास्त्रों में उपलब्ध वैज्ञानिक तथ्य और सूत्रों के माध्यम से भारतीय वैदिक ज्ञान की प्रामाणिकता और आधुनिक विज्ञान के संबंध में उसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला गया। इसी प्रयास में विद्यार्थियों को कपिल, कणाद, सुश्रुत, चरक, भारद्वाज, आर्यभट्ट तथा भास्कराचार्य जैसे ऋषि वैज्ञानिकों के उदाहरण देते हुए उन्हें भारतीय विज्ञान विकास के विभिन्न चरण तथा उपलब्धियों से अवगत कराया गया और साथ ही उनके जिज्ञासु मस्तिष्क को एक नई गति देते हुए वैदिक विज्ञान की विभिन्न खोजें जैसे आयुर्वेद, शल्यचकित्सा, खगोलशास्त्र, आण्विक विज्ञान आदि की जानकारी दी गई। इन आयोजनों का उद्देश्य भारतीय शास्त्रों में वर्णित असीम ज्ञान से नई पीढ़ी को अवगत कराना है, जिससे वे न केवल गौरान्वित हों, बल्कि प्रेरित होकर निश्चित रूप से विज्ञान के क्षेत्र में अपना भी सकारात्मक योगदान दें सकें।
मंथन-संपूर्ण विकास केंद्र, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा संचालित एक सामाजिक प्रकल्प है, जो देश के अभावग्रस्त बच्चों को निशुल्क एवं मूल्याधारित शिक्षा प्रदान करने के साथ ही उनके संपूर्ण व्यक्तिव विकास के लिए प्रयासरत है।