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10 सितम्बर को नूरमहल आश्रम, पंजाब में “हे साधकों” विशाल सत्संग समागम  का आयोजन किया गया| कार्यक्रम में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के साधक शिष्य व् शिष्याओं ने शास्त्रीय व् पाश्चात्य संगीत पर आधारित भक्ति रचनाओं का गायन किया| साथ ही साध्वी कालिंदी भारती जी ने अपने विचारों के माध्यम से गुरु भक्ति के गूढ़ तथ्यों पर प्रकाश डाला| साध्वी जी ने समझाया कि भक्ति के लिए सर्वप्रथम मनुष्य को एक पूर्ण सतगुरु की खोज करनी चाहिए| यदि जीवन में घट के भीतर ईश्वर दर्शन करवाने वाले गुरु की प्राप्ति नहीं हुई तो सभी भक्ति कर्म विफ़ल हो जाते है| पूर्ण सतगुरु द्वारा प्रदत ब्रह्मज्ञान की साधना ही एक साधारण मनुष्य को देवतुल्य बना देती है| नरेंद्र से स्वामी विवेकानंद बनने का सफ़र गुरु रामकृष्ण परमहंस जी की कृपा से ही पूर्ण हो पाया था| सदैव से मानवीय समाज को ऐसे सतगुरु की आवश्यकता रही है जो उसके भीतर श्रेष्ठ गुणों का संचार करे| साध्वी जी ने बताया कि सर्व श्री आशुतोष महाराज जी वे  दिव्य विभूति है जो आज सामज को ब्रह्मज्ञान द्वारा ईश्वर की वास्तविक भक्ति की ओर बढ़ा अग्रसर कर रहें है| ब्रह्मज्ञान की साधना से अनेक भ्रमित लोग पुनः सत्य मार्ग के पथिक बन गए है| कार्यक्रम के अंत में भारी संख्या में उपस्थित ब्रह्मज्ञानी साधकों ने समाज में शांति, समता व् बंधुत्व हेतु ध्यान सत्र में भाग लिया| 

Nuances of Sewa Reiterated in the Theme 'Hey Sadhko' at Monthly Spiritual Congregation Nurmahal, Punjab

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