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गुरु-भक्तों के हृदयों में भक्ति की लौ को प्रज्वलित करने व उन्हें अपनी आध्यात्मिक यात्रा में निरंतर आगे बढ़ते रहने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु, गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) की दिव्य अनुकंपा से दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 28 जनवरी 2024 को दिव्य धाम आश्रम, दिल्ली में ‘दिव्य गुरु को नमन’ नामक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस भक्तिमय कार्यक्रम में दिल्ली-एनसीआर से अनेक भक्त श्रद्धालु उपस्थित हुए। कार्यक्रम में डीजेजेएस के प्रतिनिधियों व प्रचारकों ने प्रेरणादायक विचारों व भावपूर्ण भजनों के माध्यम से समाधि की अवधारणा व महत्व को उजागर किया।

Salutations to Divya Guru-A devotional event enlivened the hearts and souls of devotees at Divya Dham Ashram, Delhi

गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी को उनकी समाधि की तिथि पर याद करते हुए डी.जे.जे.एस प्रतिनिधियों ने समझाया कि सतगुरु की कृपा को प्राप्त करने के लिए भक्त के अंदर समर्पण, विश्वास व सच्ची भक्ति का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि आत्मिक समृद्धि के लिए आत्मचिंतन व आत्ममंथन करना अवश्यंभावी है। सतगुरु का प्रेम व कृपा हमें संसार की उलझनों, दुविधाओं व अज्ञानताओं की भूलभुलैया से निकाल सच्चे ज्ञान व परमात्मा की ओर अग्रसर करता है।

डी.जे.जे.एस प्रतिनिधियों ने समझाया कि सतगुरु अपने शिष्य के आध्यात्मिक जगत के केंद्र में रहते हैं। ‘ब्रह्मज्ञान’ आधारित ध्यान-साधना शिष्य व पूर्ण सतगुरु के शाश्वत संबंध को सुदृढ़ बनाती है व उसे आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करती है। गुरु के श्री चरणों में पूर्ण समर्पण भक्त को सांसारिक इच्छाओं के बंधन से मुक्त कर परमानंद की ओर ले जाता है।

Salutations to Divya Guru-A devotional event enlivened the hearts and souls of devotees at Divya Dham Ashram, Delhi

अंत में डी.जे.जे.एस प्रतिनिधि ने सारांशित करते हुए बताया कि गुरु का चिंतन व उनकी आध्यात्मिक शिक्षाओं को आत्मसात कर उनका पालन करना ही सतगुरु की वास्तविक पूजा है। अतः पूर्ण सतगुरु के शिष्यों के रूप में हमारा यह कर्तव्य है कि हम गुरुदेव द्वारा प्रदान ब्रह्म-ज्ञान की ध्यान-साधना से अपने मन व आत्मा को विकसित कर विश्व शांति व ज्ञानोदय में अपना योगदान प्रदान करें।

कार्यक्रम में स्वयंसेवकों द्वारा गुरु-शिष्य के शाश्वत संबंध को उजागर करता ‘भक्त भरत’ नाट्य प्रस्तुत किया गया।

अंत में आत्म-वर्धन हेतु सामूहिक ध्यान-साधना के पश्चात सभी ने दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के श्री चरणों में नमन अर्पित किया। निःसंदेह, कार्यक्रम ने उपस्थित सभी भक्तों के मन पर दिव्य गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के श्रेष्ठ आदर्शों की गहरी छाप छोड़ी।

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