पौराणिक कथाओं में भगवान् शिव को विनाशक और परिवर्तक के रूप में जाना जाता है। वह सर्वोच्च है जो नवसृजन व परिवर्तन हेतु सृजनात्मक विध्वंस करते हैं। भगवान शिव अनंत और निराकार है। शिव के द्वारा धारण किए गए त्रिशूल, सर्प, चंद्रमा और शीश से बहती गंगा गहन अर्थ लिए है। भगवान शिव की महान वास्तविकता से परिचित करवाने के लिए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने 14 सितंबर 2018 से 18 सितंबर 2018 तक अमृतसर, पंजाब में शिव कथा का आयोजन किया।
कथा का वाचन करते हुए साध्वी सुमेधा भारती जी ने शिवरात्रि के सच्चे अर्थ को समझाया। साध्वी जी ने कहा कि शिवरात्रि आध्यात्मिक जागृति की रात है। उन्होंने शिव पुराण में वर्णित शिवरात्रि की कहानी का उद्धरण देते हुए अपने पक्ष को रखा।
शिवरात्रि से सम्बन्धित कथा के अनुसार एक गांव में गुरूद्रूह नाम का एक शिकारी रहता था। जानवरों का शिकार करके वह अपने परिवार का पालन किया करता था। शिवरात्रि के दिन जब वह शिकार के लिए गया, तब पूरे दिन शिकार खोजने के बाद भी उसे कोई जानवर नहीं मिला, परेशान होकर वह एक तालाब के पास गया और तालाब के किनारे बेल-पत्र पेड़ पर अपने साथ पीने के लिए थोड़ा सा पानी लेकर चढ़ गया। पेड़ के ठीक नीचे एक शिवलिंग भी था अनजाने मे उसके हाथ से कुछ बेल-पत्र एवं पानी की कुछ बूंदे पेड़ के नीचे बने शिवलिंग पर गिरी। रात की पहली पहर बीत जाने पर एक हिरणी तालाब पर पानी पीने पहुंची। जैसे ही शिकारी ने उसे मारने के लिए अपने धनुष पर तीर चढ़ाया तो हिरणी ने घबरा कर कहा कि वह अपने बच्चों को मिलकर लौट आयेगी तब वह चाहे तो उसका शिकार कर ले। शिकारी को हिरणी पर दया आ गयी और उसने उसे जाने दिया। इस प्रक्रिया के प्रभाव से उसका मन पाप मुक्त और निर्मल हो गया। दूसरी ओर इस घटना के उपरांत उस शिकारी ने आध्यात्मिक यात्रा शुरू कर वास्तविक ज्ञान (ब्रह्मज्ञान) को प्राप्त किया।
साध्वी जी ने कहा कि शिव पुराण से शिवरात्रि की यह कहानी आध्यात्मिक जागृति की प्रक्रिया की ओर इंगित करती है। आध्यात्मिक साधक इस समय अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू कर सकता है। हालांकि, एक सच्चे आध्यात्मिक गुरु की कृपा के बिना यह यात्रा कभी भी सही दिशा में पूर्ण नहीं हो पाएगी। इसलिए एक सतगुरु की तलाश करना अति महत्वपूर्ण है जो आत्म साक्षात्कार करवा सकता हैं। परम पूजनीय सर्व श्री आशुतोष महाराज जी वर्तमान युग के ऐसे पूर्ण आध्यात्मिक गुरु है जो शिष्यों को ब्रह्मज्ञान प्रदान कर भीतरी जागृति संभव कर रहे हैं।