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श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के दिव्य मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा ढिलवां, पंजाब में जन-मानस के आध्यात्मिक उत्थान हेतु भव्य श्री राम कथा का आयोजन किया गया। 26 से  30 अक्तूबर 2022 तक आयोजित पाँच दिवसीय कथा में सभी आयु के लोगों की उपस्थिति देखी गई। कथा-व्यास साध्वी शची भारती जी ने प्रभु श्री राम के महान जीवन चरित्र का सुंदर रेखांकन किया।

Shri Ram Katha Conveyed the Message of Universal Brotherhood at Dhilwan, Punjab

साध्वी जी ने कहा कि मानवीय स्वार्थ के दुष्परिणाम से व्यथित वर्तमान समाज को वैश्विक बंधुत्व की परम आवश्यकता है। केवल मानव समाज ही नहीं अपितु प्रकृति भी हमारे दुलार व देख-रेख की अधिकारी है। अन्यथा, हम इस रमणीय संसार को गंवा बैठेंगे। अतः हमें भी श्री राम जैसी क्षमाशील प्रवृत्ति अपनाने की आवश्यकता है।

श्री राम ने अपने जीवन में सदैव क्षमा प्रवृत्ति को अपनाया। उदाहरणतः, उन्होंने अयोध्या राज्याभिषेक से पूर्व माता कैकेयी द्वारा उनके लिए चौदह वर्ष का वनवास और उनके स्थान पर अनुज भरत के राज्याभिषेक की माँग को बिना कसी किन्तु-परन्तु के सहज ही स्वीकार कर लिया। उन्होंने अपने मन में माता कैकेयी या अनुज भरत के प्रति कभी किसी प्रकार की दुर्भावना नहीं रखी।

Shri Ram Katha Conveyed the Message of Universal Brotherhood at Dhilwan, Punjab

एक अन्य उदाहरण में, श्री राम ने रावण के भाई विभीषण को शरणागति प्रदान कर पुनः अपने दयालु स्वभाव का परिचय दिया। राक्षसों के राजा रावण ने श्री राम की भार्या देवी सीता का अपहरण किया था। परन्तु श्री राम ने विभीषण पर उसके भाई के कर्म का दोषारोपण न करते हुए उनसे कभी अपशब्द तक नहीं कहे। इसके विपरीत, श्री राम ने विभीषण को अपने मित्र के रूप में स्वीकार किया। 

आज हम श्री राम की अद्वितीय क्षमाशीलता को उनके विष्णु अवतार होने का कारण मान लेते हैं। इस मान्यता के विपरीत, साध्वी जी ने समझाया कि श्री राम का जीवन हमें धर्मपूर्ण जीवन जीने का आदर्श प्रस्तुत करता है। हमारा दृष्टिकोण भी क्षमाशील हो सकता है यदि हम अपने भीतर श्री राम के तत्त्व स्वरूप से परिचित हो जाएं। इस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि श्री राम समय के पूर्ण गुरु ऋषि वशिष्ठ जी द्वारा ब्रह्मज्ञान के विज्ञान में दीक्षित थे।

कथा के अंत में साध्वी जी ने उपस्थित सभी श्रोताओं से पूर्ण सतगुरु की खोज कर अपनी आध्यात्मिक यात्रा को आरंभ करने व श्री राम की भांति शांत व निर्मल प्रवृत्ति धारण करने के लिए आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ईश्वर से जुड़कर प्राप्त हुई आंतरिक शांति ही विश्व में शांति स्थापित करने में सहायक सिद्ध हो सकती है। अतः डीजेजेएस जीवन-परिवर्तनीय आध्यात्मिक यात्रा प्रारंभ करने के लिए सभी जिज्ञासुओं का आवाहन करता है। श्रोताओं ने विश्व शांति हेतु डीजेजेएस द्वारा चलाए गए प्रकल्पों की भरपूर सराहना की।

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