ईश्वरीय अवतार भगवान श्री राम ने श्रेष्ठ व्यक्ति की परिकल्पना को अपने चरित्र के माध्यम से साकार करते हुए समझाया कि अपने जीवन में धर्म और ईश्वरीय सिद्धांतों के अनुसार कैसे जीना है। भगवान श्री राम करुणा, सौम्यता, दया, सत्य और अखंडता के अवतार है। संसार की समस्त शक्तियों के स्वामी होने पर भी उनका स्वभाव शांत और सौम्य था। उनके जीवन का अवलोकन करने पर हम उत्तम पुत्र, उत्तम भाई, उत्तम पति और उत्तम राजा होने के गुण सीख सकते है। अयोध्या में उनका शासनकाल “रामराज्य” कहलाया जो की श्रेष्ठ राज्य का प्रतीक है।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने नेपाल के सिरहा में 1 अप्रैल से 7 अप्रैल 2019 तक श्री राम कथा का सात दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्या साध्वी पद्महस्ता भारती जी ने श्री राम कथा से सम्बन्धित अनेक ग्रन्थों के आधार पर भगवान राम के चरित्र का वर्णन किया।
साध्वी जी ने वर्तमान युग के साथ भगवान राम के युग के परिदृश्य की तुलना की। उन्होंने बताया कि आज, लोग अधिक सुविधाओं की इच्छा में अपने चरित्र, नैतिकता और सच्चाई को खोते जा रहे हैं। भारतीय संस्कृति का आधार आध्यात्मिकता और नैतिकता में निहित है। इसलिए विश्व शांति प्राप्त करने के लिए हमें नैतिक मूल्यों को बढ़ाने की अनिवार्यता है। राम राज्य को फिर से स्थापित करने के लिए, हमें अपनी आत्मा और भगवान के बीच संबंध को दृढ़ करना होग। परन्तु यह किसी भी बाहरी माध्यम से नहीं अपितु मात्र ब्रह्मज्ञान के शाश्वत विज्ञान के माध्यम से किया जा सकता है।
एक जागृत आध्यात्मिक गुरु की कृपा से कोई भी मानव इस ब्रह्मज्ञान को प्राप्त कर सकता है। श्री राम ने अपने आध्यात्मिक गुरु महर्षि वसिष्ठ द्वारा यह तकनीक प्राप्त की थी। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी जन–जन को ब्रह्मज्ञान प्रदान कर व उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाते हुए राम राज्य को साकार कर रहे है।
कथा जन-जन तक ब्रह्मज्ञान का संदेश फैलाने के उद्देश्य में सफल रही। साध्वी जी द्वारा कथा प्रस्तुतिकरण से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। इस कार्यक्रम को सबने बहुत सराहा और हर गुजरते दिन के साथ भक्त- श्रोताओं की संख्या में वृद्धि होती रही। प्रशिक्षित भक्त संगीतकारों ने अपने संगीत द्वारा दिव्य आभा को जागृत किया, जिसने श्रोताओं को प्रभावित किया। दिव्य संगीत और पवित्र कथा के संयोजन ने स्थानीय लोगों को भी आकर्षित किया। कथा का समापन संत समाज और मुख्य अतिथियों द्वारा “हवन” के साथ हुआ।