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जन-जन को भगवान राम के शाश्वत ज्ञान व आध्यात्मिक संपदा से लाभान्वित करने हेतु गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) की दिव्य अनुकंपा से ‘दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान’ द्वारा रेवाड़ी, हरियाणा में 11 से 17 फरवरी 2024 तक सात दिवसीय श्री राम कथा का भव्य आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कथा व्यास, साध्वी दीपिका भारती जी ने भगवान राम के शाश्वत ज्ञान पर मार्मिक संदेश प्रस्तुत कर भक्तों में आत्म-निरीक्षण व ईश्वर दर्शन की जिज्ञासा के बीज का रोपण किया। रामायण व रामचरितमानस के प्रसंगों से सुसज्जित प्रेरणादायक प्रवचनों व भगवान राम की महिमा से ओत प्रोत भावपूर्ण भजनों ने भक्तों को भाव विभोर किया।

Shri Ram Katha reinvigorated the spiritual legacy of Lord Ram at Rewari, Haryana

साध्वी जी ने समझाया कि श्री राम महान शक्ति, श्रेष्ठ आचरण व ज्ञान से संपन्न एक शक्तिशाली राजा थे। एक सामंजस्यपूर्ण समाज का आधार, नैतिक मूल्यों पर बल देता उनका ज्ञान आज भी लोगों को प्रेरित करता है। श्री राम को मन, बुद्धि व वाणी द्वारा नहीं समझा जा सकता।

कथा व्यास जी ने समझाया कि भगवान राम द्वारा दिखाए गए सत्य व आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर होने के लिए सर्वप्रथम आत्मिक स्तर पर जागने की आवश्यकता है। एक पूर्ण सतगुरु जीव को ब्रह्मज्ञान देकर, उसे आंतरिक जाग्रति प्रदान करते हैं। मात्र इतना ही नहीं। वे अपने शिष्य का पग पग पर साथ निभाते हैं। उसे विभिन्न रूपों में दिव्य सहायता प्रदान करते हैं। परंतु ऐसी कृपा प्राप्त करने हेतु शिष्य को मन, बुद्धि व आत्मा से सतगुरु की आज्ञाओं को शिरोधार्य करने की आवश्यकता होती है।

Shri Ram Katha reinvigorated the spiritual legacy of Lord Ram at Rewari, Haryana

अंत में डीजेजेएस प्रतिनिधि ने सभी से आग्रह किया कि वे भगवान राम की जीवन गाथा को केवल सुनने तक ही सीमित न रहें बल्कि ब्रह्मज्ञान द्वारा श्री राम के तत्त्व स्वरूप का साक्षात्कार भी करें। उन्होंने समझाया कि वर्तमान समय आंतरिक व बाह्य राम राज्य की स्थापना की मांग कर रहा है। सनातन ज्ञान द्वारा भगवान राम जैसे गुणों को धारण किया जा सकता है। ‘ब्रह्मज्ञान’ आधारित ध्यान साधना ही वह मार्ग है जिसके द्वारा भगवान राम के साथ शाश्वत व चिर-स्थायी संबंध स्थापित किया जा सकता है। क्योंकि ध्यान मन को नियंत्रित करने में सहायता करता है और अंतःकरण में भक्ति व सौहार्द के बीज रोपित कर विश्व शांति के उद्देश्य में योगदान प्रदान करने हेतु सक्षम बनाता है।

कथा के अंत में भगवान राम के श्री चरणों में अर्पित प्रार्थना व जय श्री राम के जयघोषों ने भक्त हृदयों में पवित्रता व दिव्यता का संचार किया।

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