वर्तमान में, मानव जीवन में शांति, सुख एवं समृद्धि का नितांत अभाव है एवं समाज आपसी कलह, द्वेष, विभाजन जैसी भयानक व्याधियों से ग्रसित है। जीवन में आध्यात्मिकता का अभाव इसका मूल कारण है। आध्यात्मिक उन्नति के बिना जीवन में सुख एवं शान्ति की कामना एक कोरी कल्पना के समान है। हमारे धर्म शास्त्रों में निहित है कि दुनिया के इस भौतिकवाद से परे आध्यात्म की एक अलग दुनिया है जहाँ प्रभु श्री कृष्ण का वास है। शरीर में स्तिथ आत्मा अनश्वर एवं अपरिवर्तनशील है जिसका सम्बन्ध सीधे परमात्मा से होता है।
जनमानस को आनंद और शांति के चिरस्थायी स्त्रोत से अवगत कराने हेतु ,डीजेजेएस द्वारा पंजाब के अबोहर में 23 से 29 सितंबर, 2019 तक 7 दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। सुमधुर भजन संगीत से सजे इस कार्यक्रम ने सकारात्मकता का दिव्य स्पंदन उत्पन्न कर समस्त श्रद्धालुगण को ईश्वरीय सन्देश से अवगत कराया।
गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या, कथा व्यास साध्वी वैष्णवी भारती जी ने श्री कृष्ण की दिव्य लीलाओं एवं उनके पीछे छिपे आध्यात्मिक रहस्यों को सभी के समक्ष रखा। उन्होंने बताया कि परमात्मा जब इस धरा पर अवतरण लेता है तब वह हमें सिखाता है कि किस प्रकार मानव अपने स्तर से उठकर उस परमसत्ता के स्तर तक पहुंच उसे प्राप्त कर सकता है। श्री कृष्ण को एक पूर्ण सत्ता माना जाता है। उन्हें विश्व, जगद्गुरु एवं एक कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में भी जानता है। उनके संदेशों ने सभी स्तर के लोगों के उत्थान में मदद की। उन्होंने विश्व को भक्ति एवं ज्ञान के वास्तविक मार्ग की ओर प्रशस्त किया। उन्होंने समझाया कि किस प्रकार मनुष्य को अपने सारे दायित्व निभाते हुए स्वयं को मोहमुक्त रहना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण ने विश्व को धर्म का मार्ग दिखाया एवं समझाया कि धर्म के मार्ग पर पर चलकर किस प्रकार मनुष्य एक आदर्श जीवन जीता है और अपने लक्ष्य परमात्मा को प्राप्त कर सकता है।
साध्वी जी ने समझाया कि एक व्यक्ति यदि अपने जीवन में सांसारिक उपलब्धियों को अर्जित कर उन्नत हो चुका हो तब भी उस परमसत्ता से जुड़े बिना उसे जीवन में शांति एवं आनंद की प्राप्ति नहीं हो सकती। आध्यत्मिकता केवल मानव जीवन का उद्देश्य ही नहीं अपितु आज के समय की पुकार है जहाँ प्रत्येक मानव भौतिकता के चकाचौंध में खो चुका है। हमारे सभी धर्म- ग्रंथों में निहित है कि ब्रह्मज्ञान द्वारा ही परमात्मा की प्राप्ति संभव है एवं केवल एक ब्रह्मनिष्ठ गुरु ही ब्रह्मज्ञान प्रदान कर सकते हैं। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी वर्तमान में आज समाज में इसी ब्रह्मज्ञान का प्रचार प्रसार कर जनमानस को इससे लाभान्वित कर रहे हैं। आज प्रत्येक मानव को आवश्यकता है अपने जीवन में ऐसा ही ब्रह्मनिष्ठ संत को खोजने की जो कि उसे भौतिकता की चकाचौंध से दूर ब्रह्मज्ञान प्रदान कर उसके मन का रूपांतरण कर पाए। अन्य किसी भी बाह्य प्रणाली द्वारा मानव हृदय का रूपांतरण असंभव है। सात दिवसीय इस श्रीमद् भागवत कथा का सभी ने पूरा आनंद उठाया।