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दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) की बेंगलुरु शाखा द्वारा 8 से 14 जनवरी, 2023 तक बेंगलुरु, कर्नाटक में 7 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का भव्य आयोजन किया गया। बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने के लिए कथा स्थल पर पहुंचे। कथा मंच पर गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक व संचालक, डीजेजेएस) के शिष्यों द्वारा गाए गए भजनों की श्रृंखला ने श्रोताओं का विशेष ध्यान आकर्षित किया तथा मंत्रमुग्ध कर देने वाली शांतिपूर्ण आभा का संचार किया।

Shrimad Bhagwat Katha delivered the Message of Ultimate Source of Peace: Brahm Gyan at Bengaluru, Karnataka

कथाव्यास साध्वी वैष्णवी भारती जी (शिष्या, श्री आशुतोष महाराज जी) ने कथा का सुंदर वर्णन किया। उन्होंने शास्त्रों से कई श्लोकों को रखते हुए उनके भीतर छिपे आध्यात्मिक अर्थों को भी समझाया। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का पृथ्वी पर आगमन और उनके द्वारा की गई लीलाओं में मनुष्यों के लिए महान जीवन सूत्र निहित हैं। उनका जीवन उनके जन्म के समय से ही अंतहीन समस्याओं की एक श्रृंखला रहा; लेकिन फिर भी हमेशा उन्हें शांत, तृप्त व संतुष्ट देखा गया। उनके चेहरे से मुस्कान कभी नहीं हटी क्योंकि वे आध्यात्मिक रूप से प्रबुद्ध थे। भले ही वे सांसारिक कार्यों में संलग्न नज़र आए लेकिन आध्यात्मिक स्तर पर वे हमेशा दिव्यता के स्रोत से जुड़े रहे।

शास्त्र एक स्वर में घोषणा करते हैं कि मानव जीवन का उद्देश्य कर्म बंधनों से मुक्त होकर अपने वास्तविक स्रोत – भगवान तक पहुंचना है। इसके लिए समय के पूर्ण आध्यात्मिक गुरु – सतगुरु की शरण लेने की आवश्यकता है, जो ब्रह्मज्ञान का विज्ञान प्रदान कर सकते हैं और शांतिपूर्ण जीवन जीने की वास्तविक कला सिखा सकते हैं। इसलिए, भगवान श्री कृष्ण ने भी अपने गुरुदेव से दिव्य ज्ञान प्राप्त करके उसी मार्ग का अनुसरण किया और इस प्रकार सभी मनुष्यों के लिए एक नियम निर्धारित किया कि परमात्मा को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को उस समय के पूर्ण आध्यात्मिक गुरु की शरण लेनी ही होगी। शास्त्रों में बताए गए गुरु-शिष्य के असंख्य उदाहरणों ने भी इस कथन को सिद्ध किया है।

Shrimad Bhagwat Katha delivered the Message of Ultimate Source of Peace: Brahm Gyan at Bengaluru, Karnataka

कथा व्यास जी ने आगे कहा कि हमारे गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी इस समय के पूर्ण तत्ववेत्ता आध्यात्मिक सदगुरु हैं, जो आज जन-जन को वह शाश्वत विद्या, ब्रह्मज्ञान प्रदान कर रहे हैं। आज गुरुदेव के लाखों-करोड़ों शिष्य ब्रह्मज्ञान आधारित साधना में संलग्न हैं और अपने सांसारिक कर्तव्यों का भी उचित ढंग से निर्वाह कर रहे हैं। हम सभी जानते हैं कि मानव मन सभी विचारों और क्रियाओं का केंद्र है। कभी यह हमें खुशी का अहसास कराता है, तो कभी उदासी या दुःख का। ब्रह्मज्ञान इसी विचलित मानव मन पर काम करता है। यह इसे शांत कर आत्मा के स्तर पर उस दिव्य सत्ता ईश्वर से जोड़कर भीतर शांति स्थापित करता है।

अंत में, कथाव्यास जी ने यह कहते हुए कथा को विराम दिया कि आज ब्रह्मज्ञान की इस शाश्वत, वैदिक व आध्यात्मिक तकनीक पर आधारित ध्यान मनुष्य के लिए परम आवश्यक है। यह न केवल उसके आध्यात्मिक विकास के लिए बल्कि भीतर और बाहरी शांति स्थापित करने के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।

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