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वर्तमान में शांत मन वाला व्यक्ति सहजता से देखने को नहीं मिलता है। लोगों का जीवन बहुत जटिलता से व्यतीत हो रहा है, वे अधिक से अधिक धन कमाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। लेकिन साधनों की भरमार एकत्र करने के बावजूद भी मन की शांति नहीं मिल रही। विश्व में हर मानव शांति और आनंद की तलाश में भटक रहा है परन्तु भटकन के अतिरिक्त कुछ प्राप्त नहीं कर पा रहा है।

Shrimad Bhagwat Katha Described as a Perennial Source of Happiness & Peace at Panchkula, Haryana

लोगों को वास्तविक आनंद के चिरस्थायी स्रोत से अवगत करवाने के लिए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की चंडीगढ़ शाखा ने 15 से 21 सितंबर, 2019 तक हरियाणा के पंचकुला में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया। कार्यक्रम का आरम्भ ब्रह्मज्ञानी वेदपाठियों द्वारा वेद-मंत्रोच्चारण द्वारा किया गया। कथा की प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया और सरस भजनों ने वातावरण को दिव्य भावनाओं से भर दिया।

सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी कालिंदी भारती जी ने अपने विचारों द्वारा समझाया कि श्रीमद्भागवत एक मार्गदर्शन है, जो मानव जीवन को बहुत स्पष्ट रूप से आत्मा की मुक्ति हेतु दिशा प्रदान करती है। इस ग्रंथ में राजा परीक्षित के पास जीवन के मात्र सात दिन शेष हैं, ऐसे विकट समय में शुकदेव जी राजा परीक्षित को सात दिवसों तक प्रभु की कथा सुनाते है। श्रीमद्भागवत् कथा को सुनकर राजा परीक्षित को आत्म-साक्षात्कार की कला द्वारा अज्ञानता और भय से मुक्ति मिली। इसके अलावा, श्री कृष्ण के दिव्य कर्मों की व्याख्या करते हुए, साध्वी जी ने कहा कि आप सितारों और रेत के कणों की गिनती कर सकते हैं लेकिन श्री कृष्ण के अद्भुत और वीरतापूर्ण कार्यों को गिनना संभव नहीं है। श्री कृष्ण की शिक्षाएं और उनके हर कार्य, हर प्रकार से मानवता के लिए महत्वपूर्ण ज्ञान से पूरित है। उन्होंने अर्जुन और उद्धव को योग, भक्ति और वेदांत के सर्वोच्च सत्य सिखाए। श्री कृष्ण की राजनीतिक अंतर्दृष्टि और बुद्धिमत्ता आज भी राजनेताओं व शासकों द्वारा सराहनीय हैं।

Shrimad Bhagwat Katha Described as a Perennial Source of Happiness & Peace at Panchkula, Haryana

आज व्यक्ति प्रकृति से, इसके निर्माता से अनभिज्ञ है। हमें इस तथ्य को समझाना होगा कि शांति बाहर से नहीं आती बल्कि भीतर से प्रगट होती है। वास्तविक आनंद केवल ईश्वर की प्राप्ति से सम्भव है। आत्म-साक्षात्कार प्रक्रिया में एक पूर्ण आध्यात्मिक गुरु ईश्वरीय ज्ञान द्वारा अज्ञानता के अंधेरे को दूर करते हैं व व्यक्ति को सच्चे आंतरिक अनुभव को प्रदान करते हैं। आधुनिक युग को बुराइयों से मुक्त करने और सामाजिक परिवर्तन के चरण को प्राप्त करने हेतु इस दिव्य तकनीक (ब्रह्मज्ञान) की आवश्यकता है। ईश्वर-साक्षात्कार के बाद ही भक्ति का मार्ग भक्त के लिए शुरू होता है। जब एक व्यक्ति सार्वभौमिक सत्य के प्रति जागरूक होता है तो पूरी मानवता उत्थान की और अग्रसर हो जाती है। जितना हम उस परम सत्ता के साथ एकजुट होते हैं उतना ही विकास की ओर क़दमों को बढ़ाते हैं।

लोगों को जीवन में उनके उद्देश्य के बारे में जागरूक करवाने हेतु गुरुदेव के शिष्यों ने पूर्ण समर्पण भाव से अपनी सेवा प्रदान की। कार्यक्रम को बहुत सराहा गया और हजारों लोगों कार्यक्रम में उपस्थिति रहें। श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से अनेक भक्तों ने ब्रह्मज्ञान के दिव्य अमृत का आनंद लिया। मुख्य अतिथि:

• श्री सोम प्रकाश (राज्य मंत्री, भारत सरकार)

• श्री बलबीर सिंह सिद्धू (स्वास्थ्य मंत्री, पंजाब)

• श्री ज्ञान चंद गुप्ता (विधायक और राज्य मंत्री, हरियाणा)

• श्री गुरजीत राणा (विधायक, कपूरथला)

• श्री एन. के. शर्मा (विधायक, डेराबस्सी)

• श्री लतिका शर्मा (विधायक, कालका)

• श्री एस. के. मित्तल (सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश, अध्यक्ष मानवाधिकार आयोग)

• श्री एस के अग्रवाल (सत्र न्यायाधीश और एल आर पंजाब सरकार)

• श्री मोहन सिंह अहलूवालिया (पशुपालन के सदस्य, भारत सरकार)

• श्री राजेश गोयल (हरियाणा के मुख्यमंत्री के ओएसडी)

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