गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डी.जे.जे.एस) द्वारा 19 से 25 मार्च 2023 तक बरनाला, पंजाब में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया। कथा का उद्देश्य भगवान श्री कृष्ण की दिव्य लीलाओं में निहित आध्यात्मिक संदेशों को समाज के समक्ष रख कर आध्यात्मिकता का प्रसार करना था। कथा व्यास साध्वी कालिंदी भारती जी ने श्रद्धालुओं को ब्रह्मज्ञान के शाश्वत विज्ञान के बारे में बताते हुए धर्म के मार्ग का अनुसरण करने के लिए प्रेरित किया।
साध्वी जी ने कथा का वाचन करते हुए कहा कि आज भी संसार में अनेकों भक्त है जो भगवान श्री कृष्ण की आराधना करते है, उनसे प्रार्थना करते हैं, उनके नाम का जाप करते हैं तथा उनके द्वारा बताई गई शिक्षाओं को अमल में लाने का प्रयास करते हैं। उनके जीवन के प्रत्येक प्रसंग ने कविता, संगीत, चित्रकला, मूर्तिकला और अन्य अनेकानेक ललित कलाओं को प्रेरित किया है। एक पुत्र, भाई, सारथी, योद्धा, शिष्य, गुरु, ग्वाला, दूत, गोपियों के प्रियतम; अपने सम्पूर्ण जीवन में, भगवान श्री कृष्ण ने कई भूमिकाएँ निभाईं – परन्तु इन समस्त भूमिकायों को श्रेष्ठतम रूप से निभाते हुए भी वे सदा अपने वास्तविक, शाश्वत, आनंदमय चिरस्थायी स्वरुप में स्थित रहे। इस प्रकार वे भगवान होते हुए भी अपने भक्तों के समक्ष दिव्य लीलाएं करते रहे और उन्हें शाश्वत भक्ति से जोड़ते रहे। गोप-गोपियों को और अपने अनेकों भक्तों को उन्होंने ब्रह्मज्ञान की ध्यान पद्धति सिखाई, जिनसे उनका कल्याण हुआ।
साध्वी जी ने समझाया: अनन्याश चिन्त्यन्तो माम ये जना: पर्युपासते! तेषाम नित्याभियुक्तानाम योग-क्षेमम वहाम्यहम!! अर्थात जो अनन्य भक्त मेरा चिन्तन करते हुए मेरी उपासना करते हैं, मेरे में निरन्तर लगे हुए उन भक्तों का योगक्षेम (अप्राप्त की प्राप्ति और प्राप्त की रक्षा) मैं वहन करता हूँ। साध्वी जी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिव्य ज्ञान (ब्रह्मज्ञान) प्रदान कर उसे ईश्वर का साक्षात्कार कराया था। केवल इस शाश्वत तकनीक के माध्यम से ही एक साधक ईश्वर का दर्शन अपने अंतर्जगत में कर सकता है और ईश्वर के साथ शाश्वत संबंध स्थापित कर सकता है। वास्तव में यह ज्ञान ही है जो हमें धर्म का पालन करते हुए महापुरुषों के आदर्शों पर चलना सिखाता है। किस प्रकार हम संघर्षों से भरे जीवन में उनसे निर्लिप्त होकर जीवन यापन कर सकते हैं; यह सिखाता है।
कथा व्यास जी ने आगे बताया कि भगवान श्री कृष्ण केवलमात्र समाज के एक विशेष वर्ग के लिए नहीं आए थे। उन्होंने सभी को आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग दिखाया। प्रेरणादायक विचारों ने समाज को प्रेरित किया तथा प्रभु भक्ति से ओत-प्रोत संगीत ने सभी के हृदय को आनंद से प्रफुलित किया।
डीजेजेएस ने एक सामाजिक-आध्यात्मिक संगठन के रूप में गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा से प्रदान किए जाने वाले शाश्वत विज्ञान “ब्रह्मज्ञान” के लिए श्रद्धालुओं को आमंत्रित किया, ताकि वह भी इस ज्ञान को प्राप्त कर अपने जीवन को सफल बना सकें। दिव्य कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी श्रद्धालुओं एवं अतिथिगणों ने संस्थान की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए गुरुदेव का हृदय से धन्यवाद किया।