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श्रीमद्भागवत कथा एक उपयुक्त माध्यम है परमात्मा के वास्तविक स्वरुप एवं भगवान श्री कृष्ण द्वारा की गई लीलाओं के पीछे छिपे आध्यात्मिक एवं गूढ़ रहस्यों को जानने का। समय समय पर देश एवं विदेशों में श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से श्री कृष्ण द्वारा प्रसारित सन्देश को जन जन तक पहुंचाने में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान  द्वारा एक अग्रणी भूमिका अदा की गई है। इसी श्रृंखला को जारी रखते हुए गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की विशेष अनुकम्पा से 12 से 18 फरवरी 2019 तक राजस्थान के श्रीगंगानगर में श्रीमद्भागवत कथा का भव्य आयोजन किया गया। 7 दिन तक चली इस कथा में कई गणमान्य अतिथि, राजनेता एवं अनेक ईश्वर पिपासु भक्त आत्माएं शामिल हुई। कथा व्यास साध्वी कालिंदी भारती जी ने कथा के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला। उन्होंने मानव जाति के कल्याणार्थ की गई श्री कृष्ण लीलाओं की सुन्दर विवेचना की।

Shrimad Bhagwat Katha Envisaged the Perennial Pronouncements of Lord Krishna at Sriganganagar, Rajasthan

साध्वी जी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण का जीवन दर्शन एक आदर्श है। मानव के 5 शत्रुओं- काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह से मन, बुद्धि एवं आत्मा की मुक्ति के प्रतीक है। भगवान द्वारा अर्जुन को प्रदत ब्रह्मज्ञान के निरंतर अभ्यास से इन 5 शत्रुओं  पर विजय प्राप्त की जा सकती है। मानव द्वारा किया प्रत्येक कर्म इन 5 विकृतियों से मुक्त होना चाहिए तभी उसका कल्याण संभव होगा।

साध्वी जी ने मानव जीवन के वास्तविक उद्देश्य को बताते हुए समझाया कि अंतर्घट में उस परम सत्ता का साक्षात्कार कर जीवन जीने की सही कला को जाना जा सकता है एवं उसे और रचनात्मक बनाया जा सकता है। उन्होंने कथा पंडाल में उपस्थित ईश्वर पिपासुओं से धर्म के वास्तविक अर्थ को समझने का आग्रह किया, जिसका सन्देश स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने द्वापर युग में दिया था।

Shrimad Bhagwat Katha Envisaged the Perennial Pronouncements of Lord Krishna at Sriganganagar, Rajasthan

साध्वी जी ने कहा कि हमें प्रभु के समक्ष प्रार्थना करनी चाहिए कि हमें भी जीवन में ऐसे पूर्ण संत प्राप्त हो जिनकी कृपा से ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर हम उस ईश्वर का साक्षात्कार कर आत्म उन्नति की ओर अग्रसर हो पाएं। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी ने विश्व भर में अनेकों भक्त श्रद्धालुओं को ब्रह्मज्ञान से दीक्षित कर, उनके मन का रूपांतरण कर उनके जीवन को नयी दिशा प्रदान की है। जन जन के मन के रूपांतरण से ही समाज में फैली विषाक्तता समाप्त की जा सकती है एवं विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है। साध्वी कालिंदी भारती जी ने कहा कि हमारे द्वारा किये प्रत्येक कर्म एवं कार्य बिना फल प्राप्ति की इच्छा के होने चाहिए जिसकी प्रेरणा स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने अपने सिद्धांतों के माध्यम से हमें दी है।

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