जब आप भगवान से प्रेम करते हैं, तो आप भ्रम और संदेह से परे सबसे प्रेम करते हैं। -श्री कृष्ण
श्री कृष्ण ने भक्ति और धर्म के साथ-साथ परम वास्तविकता के विषय में दुनिया को पुनः शिक्षित करने हेतु मानव जाति की सामूहिक चेतना पर एक अमिट छाप छोड़ी। वर्तमान परिवेश में श्री कृष्ण की शिक्षाएँ सबसे अधिक प्रासंगिक हैं क्योंकि वे भौतिकता के संतुलन द्वारा मानव जीवन की सार्थकता को सिद्ध करती हैं। वे तनावग्रस्त व्यक्तित्व को आनंद का मार्ग प्रदान करते हुए जीवन को सकरात्मक गतिशीलता से प्रकाशित करते हैं। प्रभु कृष्ण हमें कुशल भक्ति के गुण सिखाते हैं।
ईश्वरीय ज्ञान के पथ पर सभी को प्रोत्साहित व अग्रसर करने के लिए, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने 23 दिसम्बर से 29 दिसंबर, 2018 तक अहमदाबाद, गुजरात में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया। विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों ने भी कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज की। 25 दिसम्बर से 31 दिसंबर, 2018 तक संस्कार चैनल पर कथा का प्रसारण किया गया। दैनिक जागरण, वीर अर्जुन, भारत दर्शन, दैनिक जगत क्रांति, ह्यूमन इंडिया, एवी न्यूज और दैनिक खबरे आदि विभिन्न समाचार पत्रों में भी श्रीमद्भागवत कथा से सम्बन्धित तथ्यों को प्रकाशित किया। श्रीकृष्ण के विभिन्न श्लोकों व लीलाओं को भक्ति गीतों के रूप में श्रवण कर श्रद्धालुओं का मन प्रभु भक्ति में लीन हो गया।
कथा वाचक साध्वी आस्था भारती जी ने श्री कृष्ण की लीलाओं और उसमें छिपे दिव्य संदेशों के महत्व को समझाते हुए पूरी कथा का सुंदर वर्णन किया। शास्त्र इस सिद्धांत को सिखाते हैं कि शरीर में एक शाश्वत अपरिवर्तनीय आत्मा है, जिसका सर्वोच्च आत्मा- श्री कृष्ण के साथ पूर्ण रूप से आनंदित संबंध है, जिसे वह अब भूल गया है। प्रभु हमें आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने के लिए सांसारिक सम्बन्धों को बनाए रखने और पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के साथ सभी आसक्तियों से मुक्त होने के लिए प्रेरित करते है।
श्री कृष्ण एक दिव्य शक्ति थे जिन्होंने 'ब्रह्मज्ञान' के दिव्य ज्ञान का प्रचार किया। श्री कृष्ण ने अपने आज्ञाकारी शिष्य अर्जुन को ब्रह्मज्ञान की दीक्षा दी। आत्मज्ञान के उस क्षण में, अर्जुन ने अपने गुरु श्री कृष्ण की कृपा से अपने भीतर लाखों सूर्य, दिव्य प्रकाश और ब्रह्मांड का अनुभव किया। वेदों में कहा गया है कि आध्यात्मिक बोध के सिद्धांतों पर आधारित कोई भी समाज स्वतः ही शांत और समृद्ध होगा क्योंकि आध्यात्मिक संस्कृति स्वाभाविक रूप से विकास और संतुष्टि के साथ बढ़ती है।
कथा ने प्रत्येक आत्मा को एक सच्चे भक्त बनने के लिए श्री कृष्ण के सर्वोच्च सिद्धांत का पालन करने, ज्ञान और आनंद को खोजने के लिए प्रोत्साहित किया। दर्शकों ने जीवन में आध्यात्मिकता के महत्व का अनुभव करते हुए जाना कि भौतिकवादी वस्तुएं इस दुनिया में आवश्यक होने पर भी गौण हैं।
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