धर्म ईश्वर की प्राप्ति है। गुरु रामकृष्ण परमहंस के इस गहन संदेश द्वारा नरेंद्र नाथ (स्वामी विवेकानंद) की आत्मा को हिला दिया। वह प्रभु की प्रत्यक्ष अनुभूति के संदर्भ में अज्ञानी थे। वह ईश्वर दर्शन हेतु लालायित थे तथा रामकृष्ण परमहंस जी के शब्दों ने उनकी इस जिज्ञासा को तीव्र कर दिया।
वही ज्ञान, वही अनुभूति, वर्तमान युग के पूर्ण सतगुरु परम पूजनीय श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा प्रदान किया जा रहा है। आज का समाज उस महान ज्ञान से अनभिज्ञ है जिसने नरेंद्र को स्वामी विवेकानंद बनाया था। लोगों में मानवता को जागृत करने के लिए और इस अमूल्य ज्ञान को प्रसारित करने हेतु सर्व श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा संस्थापित व संचालित- दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, दुनिया भर में असंख्य आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है। श्रीमद्भागवत कथा एक ऐसी आध्यात्मिक घटना है जिसने सभी को आत्मा से जुड़ने हेतु सक्षम बनाया। महाराष्ट्र के पुणे में 25 दिसंबर से 31 दिसंबर 2018 तक आयोजित इस कार्यक्रम ने कई लोगों के दिलों को छुआ।
सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी वैष्णवी भारती जी ने इस शास्त्र में निहित आध्यात्मिकता को सरल ढ़ंग से लोगों के समक्ष रखा। भगवान श्री कृष्ण मानव जाति के कल्याण के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए। श्री कृष्ण का जीवन चरित्र, भक्तों को उनके वास्तविक आत्म-स्वरुप से जोड़कर दिशा प्रदान करता है। साध्वी जी ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज की दुनिया में, मानव की भ्रमित मानसिकता ही विनाश का कारण है।
उन्होंने समझाया कि एक केंद्रित बुद्धि द्वारा असंभव को भी संभव किया जा सकता हैं। साध्वी जी ने कहा कि ब्रह्मज्ञान एकमात्र ऐसी तकनीक है, जिसके द्वारा ध्यान केंद्रित करके मन की क्षमताओं को तीव्र किया जा सकता है। जब ध्यान केंद्रित हो जाता है तो मन किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। इसलिए, ध्यान अभ्यास के साथ, एक शिष्य सभी लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम है।
कथा में उपस्थित भक्त, प्रभु लीलाओं में निहित गूढ़ रहस्यों को सरलता से जानकर मंत्रमुग्ध हो गए। इसके अतिरिक्त उन्हें ब्रह्मज्ञान दीक्षा के माध्यम से ध्यान के वास्तविक स्वरूप को समझा। भगवान श्री कृष्ण की शिक्षाएँ तभी जीवन में साकार हो सकती है जब कोई सच्ची आध्यात्मिकता द्वारा इनका निरंतर अभ्यास करे।

