सृजन सेनानी – अध्यात्म के मार्ग पर युवाओं द्वारा आध्यात्मिक सृजन को संदर्भित करता है, जो चेतना के उच्च स्तर तक पहुंचने के लिए सर्वोच्च ऊर्जा के साथ जुड़े रहने का प्रयास है। सर्वोच्च चेतना ही प्रेम और खुशी जैसी सकारात्मक भावनाएं को जागृत करने वाले सहज ज्ञान का सार है। इसी उच्च चेतना से जुड़े युवा सृजन सेनानी आसक्ति, क्रोध, अहंकार आदि दुर्भावनाओं को “ध्यान व सेवा” की दिव्य अग्नि में भस्म कर अपनी ऊर्जा को समाज कल्याण हेतु लगाते है। यह सृजन सेनानी, अपने गुरु वचनों के आगे आत्मसमर्पण करते है क्योंकि वे जानते है कि सतगुरु ही उनकी आत्मा को अध्यात्म के उच्च शिखर तक ले जाने में सक्षम है।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने 27 मई 2018 को मुक्तसर, पंजाब में साधकों के लिए संस्थान संचालक व संस्थापक सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के मार्गदर्शन में ऐसे ही एक आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया।
इस कार्यक्रम में प्रेरणादायक विचारों और गतिविधियां द्वारा भारत जैसे युवा राष्ट्र की युवा शक्ति की महत्ता को प्रकाशित किया गया। चरित्र समृद्ध व सही मूल्यों के लिए समर्पित युवा वह आशीर्वाद है जो समाज कल्याण हेतु क्रांतिकारी बदलाव लाने में सक्षम होता है। बदलाव जो स्वयं निर्माण से आरम्भ होता है। जैसा कि सोक्रेट्स ने कहा- "परिवर्तन का रहस्य आपकी ऊर्जा को पुराने से लड़ने पर नहीं, बल्कि नया निर्माण करने पर केंद्रित करना है”
युवा को "ब्रह्म ज्ञान" के माध्यम से आंतरिक जगत के मूल से जुड़कर अत्यधिक ऊर्जा के स्रोत को जागृत करना अवश्यक है, जो ज्ञान के छिपे खजाने का द्वार खोल उसे आत्मिक यात्रा की ओर बढ़ने में सहायक है। “ब्रह्मज्ञान” द्वारा ध्यान का अभ्यास विचारों, शब्दों व कार्यों को स्वार्थ की दिशा से मोड़ “वसुधैव कुटुम्बकम्” की महान भावना की और बढ़ाता है। यह परिवर्तन समाज के गठन का आधार बनाता है जो विश्व को प्रेम और सौहार्द सिखाता है। जिस प्रकार बीज अच्छी तरह से पोषित होता है, तो फल के स्वस्थ होने का मार्ग प्रशस्त करता है। उसी प्रकार युवा की दिशा सही होने पर समाज की दशा भी सही हो जाती है।
इस कार्यक्रम में भक्ति, राष्ट्र निर्माण रचनाएँ, आध्यात्मिक प्रवचन और कई गतिविधियों की श्रृंखला रही। श्रद्धालु भक्ति और देशभक्ति के विभिन्न रंगों में डूब गए। संस्थान प्रचारकों ने उपस्थित लोगों को आत्म-जाग्रति के इस परम विज्ञान “ब्रह्मज्ञान” को प्राप्त करने के लिए आमंत्रित किया। ब्रह्मज्ञान मानव जाति के लिए विशिष्ट है और इस जन्म का प्रमुख उद्देश्य है। गुरुदेव सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के कई स्वयंसेवक शिष्यों और प्रचारकों ने कार्यक्रम आयोजित करने के लिए अपना सहयोग दिया। साथ ही युवाओं ने आध्यात्मिक प्रगति की प्रक्रिया को बाधित करने वाले नशे के हानिकारक प्रभावों को भी समझा। इस कार्यक्रम की दिव्य व सकारात्मक तरंगों और ऊर्जा ने वहां उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित किया।