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साध्वी पद्महस्ता भारती जी ने 9 से 15 दिसंबर 2018 तक बारगढ़, ओडिशा में  श्रीमद्भागवत महापुराण का भावपूर्ण वर्णन प्रस्तुत किया। कथा सरस भक्ति रचनाओं से ओतप्रोत थी। साध्वी जी ने भगवान कृष्ण की दिव्य विशेषताओं का वर्णन करते हुए, जगद्गुरु की भूमिका को प्रगट किया। श्रीमद्भागवत में वर्णित है कि भगवान् श्री कृष्ण ने उन लोगों पर भी अपनी करुणा लुटाई जो बुरे कर्मों में लिप्त थे। उन्होंने ऐसे लोगों को बेहतर बदलाव के लिए कई मौके दिए। शिशुपाल, श्री कृष्ण के चचेरे भाई थे। श्री कृष्ण ने उनकी सौ गलतियों को क्षमा करने का वचन दिया था। जब शिशुपाल के दुराचार ने गलतियों की निर्धारित संख्या को पार कर लिया, तब श्री कृष्ण ने उसके शीश को धड़ से विलग कर दिया। शास्त्रों में वर्णित है कि श्री कृष्ण की कृपा के कारण ही शिशुपाल को मोक्ष प्राप्त हुआ।

श्री कृष्ण मात्र सामान्य मनुष्य नहीं थे, बल्कि एक प्रबुद्ध व्यक्ति थे। उन्होंने अपने आध्यात्मिक गुरु श्री संदीपनी से ब्रह्मज्ञान प्राप्त किया। प्राचीन परंपरा के अनुसार गुरु, शिष्य को ब्रह्मज्ञान प्रदान करते है। यह प्रमाणिक तथ्य है कि ब्रह्मज्ञान केवल एक सच्चे गुरु की कृपा से प्राप्त किया जा सकता है। यह ज्ञान व्यक्ति को विवेकी बनाता है। ब्रह्मज्ञान द्वारा शांत समाज की कल्पना साकार हो सकती है। व्यक्ति श्रेष्ठ मार्ग पर चलता हुआ अन्य लोगों को भी सही कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। श्री कृष्ण की जीवन गाथा इस बात का प्रमाण है। अपने जीवनकाल में श्री कृष्ण ने अपने विचारों और कार्यों से लोगों को धार्मिकता का जीवन जीने हेतु  प्रेरित किया।

साध्वी जी ने कहा कि आज हमें भी ऐसे ब्रह्मज्ञान और दिव्य गुरु की आवश्यकता है जो हमें विकारों के अंधकार से आंतरिक प्रकाश की ओर ले जा सकें। दिव्य गुरु ही बाहरिय नेत्रों से परे वास्तविक सत्य से परिचित करवाते है। अंत में साध्वी जी ने ईश्वर दर्शन अभिलाषी मानवों को संबोधित करते हुए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान में ब्रह्मज्ञान प्राप्ति हेतु आमंत्रित किया।
 

The Beauty of Guru's Grace: Shrimad Bhagwat Katha at Bargarh, Odisha

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