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पर्यावरण संरक्षण व आत्मिक जाग्रति का संदेश देते हुए, दीपावली के मर्म को उजागर करने के उद्देश्य से दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डी.जे.जे.एस.) ने अपने प्रकृति संरक्षण प्रकल्प 'संरक्षण' के अंतर्गत 31 अक्टूबर 2024 को पंजाब के नूरमहल आश्रम में 'ग्रीन दिवाली' समारोह का आयोजन किया। इस कार्यक्रम की थीम थी- 'दिव्य दीवाली - तमसो मा ज्योतिर्गमय' (अंधकार से दिव्य प्रकाश की ओर)। दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में, डी.जे.जे.एस. पिछले दो दशकों से प्रदूषण-मुक्त, चिरस्थाई प्रगति, और समृद्धि-प्रदायक दीवाली मनाने की पहल कर रहा है- जो मानव और प्रकृति के बीच संबंध को मजबूत करने का एक उत्सव है।

The Eco-Friendly Divine Diwali Celebration ‘Tamso Ma Jyotirgamaya’ Organized by DJJS at Nurmahal, Punjab

समारोह में हवन-यज्ञ (अग्नि अनुष्ठान) का आयोजन किया गया, जिसमें वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ वातावरण में आध्यात्मिक तरंगों का संचार हुआ। इस उत्सव का एक मुख्य आकर्षण मिट्टी से बने 1 लाख से अधिक दीयों का प्रज्वलन रहा। यह दीप अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक हैं और इनके माध्यम से ईको-फ्रेंडली समारोह के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाया गया।

यह उत्सव भगवान राम के जीवन और उनके धर्म के प्रतीकात्मक संदेश से प्रेरित था। दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के प्रचारक शिष्यों ने श्रद्धालुओं को प्रेरित किया कि वे भगवान राम की शिक्षाओं और मूल्यों को आत्मसात करते हुए अपने भीतर राम तत्व का साक्षात्कार करें। कार्यक्रम में श्रद्धालुओं को 'ब्रह्मज्ञान' प्राप्त कर भीतर के अंधकार को दूर कर, ईश्वरीय प्रकाश से प्रकाशित होने के लिए आग्रह किया गया। यह ज्ञान ही एक साधक को आत्म-अनुशासन प्रदान कर दीपावली के गहरे मूल्यों को उसके भीतर पुनः स्थापित करता है।

The Eco-Friendly Divine Diwali Celebration ‘Tamso Ma Jyotirgamaya’ Organized by DJJS at Nurmahal, Punjab

कार्यक्रम का एक और विशेष आकर्षण रहा- 'रामायण' से पर्यावरणीय ज्ञान पर आधारित एक विशेष प्रदर्शनी। उत्सव में प्राकृतिक, खाद्य रंगों से बने रंगोली कला का भी प्रदर्शन किया गया, जिसके जीवंत रंग प्रकृति की सुंदरता और संपदा का प्रतीक थे और जो परंपरा को ईको-फ्रेंडली विकल्पों के साथ जोड़ते है। कार्यक्रम में जहाँ ‘रामायण’ से प्रभु श्री राम के चरित्र व धर्म के प्रति उनके समर्पण को दर्शाते नाट्य मंचन प्रस्तुत किए गए, वहीं भगवान राम की स्तुति में प्रस्तुत नृत्य व संगीत ने आध्यात्मिक भक्ति में निहित दिव्य आनंद से सबको सराबोर किया। 

कार्यक्रम का समापन ‘मंगल आरती’ एवं सामूहिक ध्यान सत्र के साथ किया गया। ध्यान सत्र ने सभी को अंतर्मुखी होने, आंतरिक प्रकाश से जुड़ने व आंतरिक शांति की ओर अग्रसर होने हेतु प्रोत्साहित किया।

प्रतिभागी कार्यक्रम से पर्यावरण संरक्षण और आध्यात्मिक उन्नति की नई जागरूकता और जिम्मेदारी के साथ लौटे। इस आयोजन ने महत्वपूर्ण मीडिया का ध्यान आकर्षित किया, जिससे इसका संदेश व्यापक समुदाय तक भी पहुंचा।

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