वर्तमान समय में समाज कल्याण हेतु श्री राम कथा अति महत्वपूर्ण है। श्री राम की पूजा मात्र इसलिए नहीं की जाती क्योंकि वे भगवान विष्णु के मानव अवतार थे बल्कि इसलिए की जाती है क्योंकि उनका जीवन चरित्र सम्पूर्ण मानव जाति के लिए अनुकरणीय है। श्री राम ने अपने जीवन चरित्र द्वारा समाज को यह संदेश दिया कि विकट परिस्थिति में भी मानव को संतुलित रहते हुए, धर्म का पालन करना चाहिए। राजस्थान के बीकानेर में 26 दिसंबर 2019 से 01 जनवरी 2020 तक आयोजित श्री राम कथा का वाचन सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी सुमेधा भारती जी ने किया। साध्वी जी ने उपस्थित दर्शकों के समक्ष श्री राम के कार्यों में निहित सामाजिक व आध्यात्मिक अर्थ को प्रकट किया।
श्री राम की प्रत्येक लीला ने मानव समाज में श्रेष्ठ मानव की परिकल्पना साकार किया है। उन्होंने लोगों के समक्ष इस तथ्य को रखा कि शांति बनाए रखना, भौतिक उपलब्धियों व अहंकार पोषित करने से अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपने परिवार के भीतर शांति बनाए रखने के लिए अयोध्या से चौदह साल का वनवास स्वीकार किया। वनवास काल में रावण द्वारा माता सीता का हरण करने पर भी श्री राम ने युद्ध से पहले शांति प्रस्ताव को रखा, परन्तु जब रावण ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया तब श्री राम ने समूल असुरों का अंत कर दिया। तदुपरांत श्री राम ने लंका का राज्य स्वयं स्वीकार न कर विभीषण (रावण के छोटे भाई) को प्रदान किया।
श्री राम की जीवन यात्रा हर मोड़ पर उनके बलिदान की गाथा गुनगुनाती है। श्री राम ने ऋषि वशिष्ठ द्वारा ब्रह्मज्ञान की सनातन आध्यात्मिक प्रक्रिया के माध्यम से दिव्य ज्ञान को प्राप्त किया था। ब्रह्मज्ञान द्वारा जीवन में दिव्य प्रकाश से व्यक्ति का अज्ञान रूपी अंधकार समाप्त होता है और जीव सहजता से जीवन में श्रेष्ठ मार्ग की ओर अगसर हो जाता है। साध्वी जी ने बताया कि आज हमें भी पूर्ण सतगुरु द्वारा ब्रह्मज्ञान माध्यम से दिव्य प्रकाश को जीवन में प्राप्त करने की आवश्यकता है। ईश्वरीय प्रकाश ही जीवन की विकट परिस्थितियों में हमारा मार्ग प्रशस्त करता है।
आज हम भी ब्रह्मज्ञान के माध्यम से आंतरिक स्थायित्व का अनुभव कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए हमें एक सच्चे आध्यात्मिक सतगुरु को खोजने की आवश्यकता है। सतगुरु भौतिक संसार से आसक्ति का त्याग करने की कला का ज्ञान देते है व दिव्य दृष्टि को जागृत कर, हमें अनन्त ईश्वर को देखने में सक्षम बनाते है। गुरु हमें धर्म अनुरूप जीवन जीने की कला सिखाते है। साध्वी जी ने कथा का समापन करते हुए उपस्थित श्रोताओं से आग्रह किया कि वे भी ब्रह्मज्ञान द्वारा शीघ्र ही अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू करें। साध्वी जी ने कहा कि दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वार हर आध्यात्मिक साधक के लिए सदैव खुले हैं।