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अध्यात्म को जीवन में आत्मसात कराने के पवित्र उद्देश्य हेतु श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा संस्थापित एवं संचालित, सामाजिक एवं आध्यात्मिक संस्था, ‘दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान’ द्वारा राजौरी, जम्मू-कश्मीर में 29 मार्च से 2 अप्रैल 2022 तक श्री राम कथा का आयोजन किया गया। कथा व्यास साध्वी सौम्या भारती जी ने मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के जीवन से आत्म उन्नति, समाज सुधार, नीति और भक्ति से निहित संदेशों को उजागर किया।

The Timeless Saga of Lord Ram Paved the Path of Spirituality in Rajouri, Jammu & Kashmir

भौतिकवाद के इस युग में, जहाँ मानव अपने जीवन के उद्देश्य और धर्म के महत्व को भूल चुका है, वहाँ श्री राम कथा जन-मानस को भक्ति के वास्तविक स्वरूप से अवगत कराने में एक पवित्र माध्यम बनी। उपस्थित श्रोताओं को विश्व शांति के प्रति जागरूक करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला गया कि विश्व में शांति स्थापित करने के लिए प्रत्येक मनुष्य के अंतःकरण का शांत होना अनिवार्य है। और इस शांति की प्राप्ति उस परम दिव्य शक्ति से जुड़कर ही संभव है।

मंगल प्रार्थना और प्रभु श्री राम के पूजन से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। तत्पश्चात वैदिक मंत्रों के उच्चारण ने वायुमंडल में दिव्यता का संचार हुआ। इस दिव्य वातावरण ने भक्त-भगवान के प्रेम और दिव्य संबंध को प्रगाढ़ करने का कार्य किया।

The Timeless Saga of Lord Ram Paved the Path of Spirituality in Rajouri, Jammu & Kashmir

प्रभु श्री राम की लीलाओं का विवरण करते हुए कथा व्यास जी ने उनके धर्म स्थापना हेतु धरा पर अवतरित होने के उद्देश्य को उजागर किया। हजारों वर्षों उपरांत भी मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जीवन एक मार्गदर्शक के रूप में हमें जीवन जीने की कला को सिखलाता है। आज हर मनुष्य राम राज्य को साकार होता देखना चाहता है। परंतु राम राज्य को स्थापित करने के लिए प्रभु श्री राम ने त्याग और संघर्षों से पूर्ण मार्ग का चयन किया। श्री राम ने  त्रेतायुग में अविरल शांति एवं सत्य की स्थापना हेतु कई चुनौतियों का सामना किया। साध्वी जी ने रामायण में निहित उन आध्यात्मिक रहस्यों को उजागर किया जिससे उपस्थित श्रद्धालु स्वर्णिम राम राज्य के उन दृष्टान्तों से जुड़े जो एक भक्त के जीवन में बदलाव ला सकते हैं। प्रवचनों संग भावपूर्ण भजनों ने उपस्थित श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध किया। आध्यात्मिक यात्रा के आरंभिक बिन्दु ‘ब्रह्मज्ञान’ के महत्व पर प्रकाश डालते हुए साध्वी जी ने समझाया कि जन्म-मरण के आवागमन से मुक्ति केवल पूर्ण सतगुरु द्वारा प्रदित ब्रह्मज्ञान से ही हो सकती है।

आध्यात्मिक रहस्यों से लाभान्वित हो उपस्थित सभी श्रोताओं ने स्वस्थ समाज के निर्माण हेतु न केवल बाहरी अपितु आंतरिक परिवर्तन का भी संकल्प धारण किया।

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