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15 अगस्त 1947, स्वतंत्रता दिवस त्याग और बलिदान की गाथा को गुनगुनता है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के 72वें स्वतंत्रता दिवस को मनाने के लिए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में कार्यक्रम आयोजित किए गए। भारतीय राष्ट्रीय ध्वजारोहण द्वारा कार्यक्रम का आरम्भ हुआ व इसके बाद भक्ति गीतों की श्रृंखला और आध्यात्मिक ज्ञान के माध्यम से सार्वभौमिक भाईचारे के महत्व को पुनर्जीवित करने हेतु स्वामी विवेकानंद जी के योगदान पर एक व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के अनेक आनंदमय रंगों को चित्रित कर दैनिक जीवन में शांति को अपनाने की उपयोगिता को उजागर किया। कार्यक्रम ने मुख्य रूप से इस तथ्य को रखा गया कि आंतरिक स्वतंत्रता का अनुभव कर बाहरी स्वतंत्रता अधिक प्रभावशाली व लाभकारी सिद्ध होती है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में स्वामी विवेकानंद जी के योगदान के माध्यम द्वारा इस विचार को रखा गया।  

स्वामी विवेकानंद जी भारत की महान आध्यात्मिक विशिष्टता को विश्व स्तर पर प्रकट करने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्होंने भारत के लोगों को पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव से मुक्त करवाने और भारतीय संस्कृति पर गर्व करने का मार्ग प्रखर किया। उन्होंने वैदिक अध्यात्म पर आधारित अपने अनेक व्याख्यानों के माध्यम से भारतीय समाज को सांस्कृतिक गौरव व राष्ट्रीय एकता के सही अर्थ से परिचित करवाया। स्वामी विवेकानंद जी ने भारतीयों के भीतर यह विश्वास जागृत करने का प्रयास किया कि भारत को किसी बाहरिय शासनकर्ता की आवश्कता नहीं है बल्कि वे अपनी आंतरिक जागृति के माध्यम से सम्पूर्ण प्रगति को प्राप्त करने में सक्षम हैं। समय की आवश्यकता है कि सशक्त बुद्धि, शरीर और आत्मा में सामंजस्य स्थापित किया जाए। उन्होंने यह स्पष्ट किया था कि इस उद्देश्य सिद्धि के लिए प्राचीन भारतीय ज्ञान की तकनीक (ब्रह्मज्ञान) ही एकमात्र विकल्प है।

आज भी उनके विचार वर्तमान दुनिया में प्रासंगिक हैं। आज विश्व को आवश्यकता है आध्यात्मिक रूप से जागृत होने की है ताकि मानव को प्रत्येक बंधन से मुक्त करवा स्वतंत्र व सुंदर विश्व की संरचना हो सके। ऐसा तभी सम्भव होगा जब आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा आंतरिक विकारों का उन्मूलन किया जाए। इसलिए सदैव बाहरी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए हम सभी को आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने की आवश्कता है। कार्यक्रम समापन अवसर पर शांति व सम्पूर्ण स्वत्रंता प्राप्ति हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के विचारों को अपनाने का सुझाव भी दिया गया।

Threads of Freedom Strengthened: Celebrating the Birthday of the Nation

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