नालंदा, प्राचीन भारत का एक अद्वितीय शैक्षिक संस्थान जो अब मात्र एक पुरातात्विक स्थान है जो दग्ध नालंदा महाविहार के अवशेषों को समेटे हुए है। इस प्राचीन विश्वविद्यालय के अवशेष भारत की शिक्षा प्रणाली की महिमा गाते हैं। इसका यह विशाल परिसर, जिसमें से लगभग 90% परिसर की खुदाई नहीं हुई है, दर्शाता है की प्राचीन भारत के सभी अर्थों में समृद्ध था। नालंदा महाविहार के अवशेषों के पास ही नवनिर्मित नव नालंदा महाविहार है, जो नालंदा में शिक्षा के प्राचीन स्थान को फिर से स्थापित करने के लिए भारत सरकार द्वारा स्थापित एक विश्वविद्यालय है।
दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के मार्गदर्शन में स्थापित दिव्य ज्योति वेद मंदिर वैदिक संस्कृति को पुनः स्थापित करने के लिए निरंतर कार्यरत है। वैदिक संगोष्ठी की इसी श्रृंखला में, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की प्रचारिका साध्वी शरवानी भारती जी, साध्वी दीपा भारती जी और प्रचारक स्वामी यादवेन्द्रानन्द जी ने दिव्य ज्योति वेद मन्दिर के प्रतिनिधियों के साथ 28 मई 2022 को नव नालंदा महाविहार का दौरा किया।
सभी ने प्रो. विजय कुमार कर्ण विभागाध्यक्ष, संस्कृत और प्रो. सुसिम दुबे, विभागाध्यक्ष, दर्शनशास्त्र, योग और विपश्यना से भेंट की। साध्वी दीपा भारती जी ने बताया कि किस प्रकार वैदिक संस्कृति और इसकी विरासत के महत्व व दिव्य ज्योति वेद मन्दिर गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज के दिव्य मार्गदर्शन में विश्व भर में संस्कृत भाषा की वैदिक परम्परा के प्रचार और पुन: स्थापित करने की दिशा में संस्थान कार्यरत है। तत्पश्चात दिव्य ज्योति वेद मन्दिर के प्रतिनिधियों ने बीते वर्षों में वेद मन्दिर की गतिविधियों को भी साझा किया और हाल की ही लॉन्च हुए रुद्री पाठ के ऑडियो-विजुअल को भी दिखाया। प्रो. विजय कुमार कर्ण व प्रो. सुसीम दुबे ने दिव्य ज्योति वेद मन्दिर (DJVM) की बहु प्रशंसा की और समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर करके दिव्य ज्योति वेद मन्दिर के प्रयासों की सराहना की।
प्रो. विजय कुमार कर्ण ने विश्वविद्यालय के परिसर में बने पुस्तकालय का दौरा करवाया जहाँ प्राचीन पांडुलिपियां रखी हुई हैं व उन्होंने बताया की किस तरह विश्वविद्यालय द्वारा इन पांडुलिपियों को सावधानीपूर्वक संरक्षित किया जा रहा है। अंत में, टीम प्राचीन नालंदा महाविहार के खंडहरों का दौरा भी किया।