अनुजा- उठो अमित! जल्दी करो! ८.०० बज गए हैं। ऑफिस नहीं जाना क्या?
अमित- उफ! आज बिल्कुल मन नहीं कर रहा। सारा शरीर टूट रहा है ...
अनुजा- अरे, तुम तो बिल्कुल रिया की तरह बहाने बना रहे हो।
अमित- क्यों, हम पापा लोग नहीं थकते क्या?
अनुजा- और हम मम्मियों को क्या?...
अमित- अरे भई, आया कमला है तो...
अनुजा- आया आया ही होती है। ...
अमित (हँसते हुए)- मान लिया, श्रीमती जी! अब मेरे लिए क्या आज्ञा है?
अनुजा- फिलहाल तो यही कि आप जल्दी से तैयार होकर नाश्ते के लिए आ जाओ। आज रिया को भी स्कूल छोड़ते हुए जाना है।
अमित- ओ.के. मैडम! ...नाश्ते की टेबल पर...
...
रिया (इतराकर)- नहीं! मुझे नहीं पीना दूध। नहीं जाना स्कूल।
अनुजा- अरे, क्या हुआ मेरी प्यारी रिया को। ...
रिया- नहीं मॉम, आज मैं स्कूल नहीं जाऊँगी। आप और डैडी के साथ घूमने कहीं बाहर जाऊँगी।
अनुजा- बेटे, आज कैसे जा सकते हैं? आज तो हम दोनों का ऑफिस है और आपका भी स्कूल है।
रिया- नहीं, मुझे कुछ नहीं पता। ...
...
रिया- डैडी, मुझे कहीं बाहर जाकर घूमना है।
...
अमित (अनुजा को इशारा करते हुए)- बेटे रिया, पर आज नहीं। संडे को चलेंगे।
...
अनुजा (रिया को गोद में बिठाते हुए)- और आज हम ...लौटते हुए आपकी फेवरेट आइसक्रीम लेते आयेंगे।
...
शाम को ऑफिस से लौटते हुए...
अनुजा- अमित, क्या कर रहे हो? देखकर चलाओ न!
अमित- देखकर ही तो ब्रेक लगाई है। देखो सामने!
अनुजा- ओ माई गॉड! मिस्टर एण्ड मिसेज़ शाह के घर आग! ...
अमित- ...हमें जल्द ही इनकी मदद करनी चाहिए। ...
...
अनुजा- तुम और तुम्हारा सोशल वर्क। अभी कोई घर का काम कहूँगी, तो दिन भर की थकावट याद आ जाएगी।
क्या अमित ने फिर भी मिस्टर शाह का घर जलने से बचाया? क्या निर्णय लिया उन्होनें? जानने के लिए पढ़िये जनवरी अंक की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका...