डाइनासोर तक शाकाहारी थे! | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

डाइनासोर तक शाकाहारी थे!

दिव्य ज्योति जाग्रति  संस्थान का दिव्य धाम आश्रम! कई वर्षो पूर्व, एक कॉलेज के कुछ उत्साही व जिज्ञासु युवा महाराज जी के दर्शन हेतु इस आश्रम में आए। उन्होंने महाराज जी के समक्ष अपने जीवन से सम्बन्धित बहुत-सी जिज्ञासाएँ एवं प्रश्न रखे। ... संवाद के अंतर्गत उन युवाओं ने कुछ प्रश्न शाकाहार व मांसाहार के सम्बन्ध में भी पूछे। संवाद के विशेषकर इसी अंश को इस लेख के माध्यम से प्रस्तुत किया जा रहा है।

युवा(क)- महाराज जी! आजकल एक नयी मूवी(फिल्म) आई है। यह पृथ्वी के सबसे विशालकाय जीव डाइनासोर पर फिल्माई गई है। इस फिल्म में, ये डाइनासोर पूरे का पूरा जानवर एक झटके में निगल  जाते हैं। इनको बड़ी मात्रा में मांसाहार करते हुए दिखाया गया है। यहाँ तक कि फिल्म को मज़ेदार बनाने के लिए यह भी दिखाया गया है कि डाइनासोर इंसानो को भी अपना आहार बना रहें हैं। सभी उनसे अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे हैं। हर ओर तबाही ही तबाही मच रही है। जो भी जीव उनके रास्ते में आता है, उसे ही वे अपना ग्रास बना लेते हैं। क्या घोर मांसाहारी थे ये डाइनासोर?

महाराज जी - सभी डाइनासोर मांसाहारी नहीं होते थे। ...

युवा(ख) - बिल्कुल महाराज जी! मैंने फिल्म तो नहीं देखी। पर हाँ! कुछ साइंटिफिक  जर्नल्स में पढ़ा है कि सौरोपोड्स जाति के डाइनासोर- diplodocus और brachiosaurus शाकाहारी थे। ये...

महाराज जी- क्या तुम उस पौधे के विषय में भी जानते हो, जो छोटे-छोटे कीटों को आहार के रूप में ग्रहण करतें हैं?

युवा(क) (हैरानी से)- क्या! पौधा... और कीड़े खाता हैं! क्या नाम है उस पौधे का?

महाराज जी- यह युट्रीकुलारिया प्रजाति का ब्लाडरवर्टस नामक पौधा है।... पर शोधकर्ता वैज्ञानिकों का कहना है कि अब यह पौधा भी शाकाहार की ओर प्रवृत्त हो रहा है।...

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देखो! कितनी अदभुत बात है! जिन जीवों की नैसर्गिक संरचना मांसाहार के लिए हुई थी; जिनके दाँत, आँत, पूरा जैविक ढाँचा ही प्राकृतिक रूप से मांसाहार के लिए उपयुक्त है, वे भी शाकाहार की ओर प्रेरित  हो जाते हैं! सात्विक भोजन अपना लेते हैं। पशु होकर भी सात्विकता धारण कर लते हैं। परन्तु वहीं... मनुष्य, जो सृष्टि का सिरमौर है,' जिसे क्राउन ऑफ द क्रिएशन' कहा गया, वह मांसाहार को अपना लेता है। ...यहाँ तक कि माता-पिता अपने छोटे-छोटे  बच्चो को भी मांसाहार कराने लगे हैं!

युवा (क)- पर महाराज जी, यदि किसी को कुछ समझाओ तो तुरन्त जवाब मिलता है कि मांसाहार स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक भी होता है। इसके बहुत फायदे हैं।  

महाराजश्री ने किस प्रकार मांसाहार आत्मिक उत्थान में बाधक ओर शाकाहार सहायक है, इस बात को विस्तार पूर्वक समझाया, जानने के लिए पढ़िए जून माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान २०१५ मासिक पत्रिका! 

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