ईश्वर द्वारा निर्मित इस प्रकृति का अंश प्रेरणादायक है। ज़र्रा-ज़र्रा मनुष्य को अमूल्य शिक्षाओं का पाठ पढ़ा रहा है। मानव चाहे तो आसपास के वातावरण व जीव-जन्तुओं से अनेक प्रेरणाएँ ग्रहण कर अपना चहूँमुखी विकास कर सकता है। तो चलिए, इस बार हम भी कुछ ऐसा ही प्रयास करते हैं। इस लेख के माध्यम से सृष्टि के विभिन्न जीव-जन्तुओं द्वारा उच्चारित 'संगच्छध्वं' की धुन सुनते हैं। इन प्रेरक रत्नों को आत्मसात करने हेतु पग बढ़ाते हैं।
ग्रेट बैरियर रीफ- समुद्री जीव-जन्तुओं द्वारा निर्मित विश्व की सबसे विशाल चट्टान! इतनी विशाल कि अंतरिक्ष से भी दिखाई देती है। यह चट्टान आस्ट्रेलिया मेँ स्थित क्वींसलैंड के उत्तर-पूर्वी तट के समानांतर बनी है। इसकी लम्बाई 1200 मील और चौड़ाई 10 मील से 90 मील है। ग्रेट बैरियर रीफ समुद्र के अनेक जीवों- मछलियों, कछुओं, घेंघों आदि का निवास स्थान है। इसकी विलक्षता के कारण सन् 1981 मेँ इस चट्टान को विश्व की अमूल्य धरोहर के रूप में मान्यता दी गई। इस चट्टान का सबसे विचित्र पक्ष है कि यह छोटे- छोटे समुद्री जीवों के संगठित व एकजुट होने का परिणाम है।यह सभी जीव आपस में इस प्रकार एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं कि विश्व के पटल पर एक विशाल और मज़बूत चट्टान के रूप में दृष्टिगोचर होते हैं। अनेक होकर भी एक प्रतीत होते हैं। यदि यह जीव अलग-थलग रहते, तो संभवतः काल का ग्रास बन चुके होते। किंतु नहीँ! इनकी एकजुटता व संगठन का परिणाम ही है कि इनके द्वारा निर्मित चट्टान के समक्ष आते ही बड़े-बड़े जहाज़ तक अपना रुख बदल लेते हैं। किसी ने बहुत सुन्दर कहा है- 'रुख बदल दो आँधियों का, थाम के हाथों में हाथ!' सृष्टि के यह जीव भी इसी कथन की सत्यता को प्रमाणित कर रहे हैं।
तो आइए, हम भी इन जीवों से प्रेरित होते हैं। संगठन के महत्त्व को समझ कर संगठित रहने का प्रयास करते हैं। तभी हम बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना भी डट कर कर पाएँगे।...
वालवाक्स, फाईसेलिया, कर्कट और सी-ऐनीमोन भी संगठन का पाठ पढ़ाते हैं।... कैसे? यह सब पूर्णतः जानने के लिए पढ़िए दिसम्बर माह की अखण्ड ज्ञान हिन्दी मासिक पत्रिका।