स्थिर मन ही स्थायी सफलता का आधार! | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

स्थिर मन ही स्थायी सफलता का आधार!

घर और ऑफिस के कार्यों से लदी ज़िन्दगी अक्सरां हमारे शरीर के साथ-साथ मन को भी थका देती है। किंतु इससे पहले कि यह मन की थकान हमें हमारी सफलता से दूर ले जाए, आवश्यक है कि हम इस थकान को ही अपने जीवन से दूर कर दें। इसके लिए हम खोजते हैं उन पलों को, उन बातों को, उन विचारों को, उन उदाहरणों को जो हमें प्रेरणाएँ दे जाएँ।

अंग्रेजी भाषा में प्रेरणा को 'Inspiration' कहते हैं। 'Inspiration' का एक अर्थ  'Breath-in' यानी 'साँस लेना' भी होता है। तो हम कह सकते है कि प्रेरणाएँ हमारे लिए साँस लेने की तरह ज़रूरी हैं। क्योंकि प्रेरणा से भरे प्रसंग, दृष्टांत, उदाहरण इत्यादि हमारे समस्या से भरे जीवन को सुकून की साँस देते हैं।

तो चलिए, आज अपनी मुट्ठी में कुछ अनमोल प्रेरणाओं को समेट लें, ताकि ये हमें हिम्मत दे सकें ज़िन्दगी के सफर में जोश और उत्साह से आगे बढ़ते रहने की-

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एक बार अमेरिका के राष्ट्रपति रूज़वेल्ट ने एक छोटा सा प्रयोग किया। उन्होंने यह प्रयोग एक पार्टी में किया। वे अतिथियों का स्वागत  करने के लिए दरवाजे पर खड़े हो गए। जैसे ही कोई अतिथि आता, वे उससे खुश होकर, मुस्कुराकर हाथ मिलाते और साथ ही, धीरे से कुछ बोलते। प्रत्युत्तर में वहाँ आए लगभग सभी अतिथियों ने कहा- ' वाह सर! क्या बात है!'; ' ग्रेट सर! हमें आप पर नाज़ है।';  ' 'भगवान अपनी कृपा आप पर हमेशा बनाए रखे।'; 'सर आपने बहुत अच्छा काम किया है।'...
पाठकगणों! आप सोच भी नहीं सकते कि रूज़वेल्ट को ये जवाब किस पंक्ति को कहने पर मिल रहे थे! दरअसल, रूज़वेल्ट धीमे स्वर में हर अतिथि से कह रहे थे- 'मैंने आज सुबह अपनी दादी का खून कर दिया है।' अब आप सोच में पड़ गए होंगे कि इस बात को सुनकर लोग रूज़वेल्ट की प्रशंसा क्यों कर रहे थे!

आपके प्रश्न का उत्तर ही इस प्रयोग की खोज थी। इस प्रयोग से एक महत्वपूर्ण तथ्य उजागर हुआ- वह है हमारे मन की चंचलता। वैज्ञानिकों के अनुसार हमारा मन 1 मिनट में लगभग 500 शब्द ग्रहण करने की क्षमता रखता है। पर किसी व्यक्ति द्वारा बोले गए शब्दों की सामान्य रफ्तार 125-150 शब्द प्रति मिनट की होती है। यानी हमारा मन वाणी से बहुत तेज़ दौड़ता है। और क्योंकि रफ्तार बहुत तेज़ होती है, इसलिए मन स्वयं ही रिक्त स्थानों को विभिन्न विचारों से भर लेता है। वह खुद ही अनुमान लगाने लगता है कि व्यक्ति अब यह बोलेगा और मैं प्रत्युत्तर मे यह कहूँगा। यही उस पार्टी के दौरान हुआ।... 

पर यहाँ गौरतलब बात यह है कि मन की यह चंचलता हमें संकट में डाल सकती है। इसलिए आवश्यकता है, मन को स्थिर करने की। स्थिर मन से ही स्थायी सफलता की प्राप्ति होती है। पर मन को स्थिर करने की युक्ति क्या है? पूर्णतः जानने के लिए  पढ़िए फरवरी'17 माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका।

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