भूकंप में भी नहीं हिले प्राचीन मंदिर! | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

भूकंप में भी नहीं हिले प्राचीन मंदिर!

 

 

प्राचीन मंदिर केवल आस्था के प्रतीक नहीं हैं, भवन निर्माण के क्षेत्र में कला व विज्ञान के बेजोड़ संगम माने गए हैं। ये केवल अपनी भव्यता के लिए मशहूर नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी बेहद ज्ञानवर्धक व रुचिकर हैं। इन मंदिरों के गर्भ में मूर्तियाँ ही नहीं, इतिहास के किस्से-कहानियाँ व घटनाएँ भी विराजमान हैं।
समाज, विज्ञान, भूगोल, खगोल की कहानी कहने वाले ये मंदिर कौन से हैं अथवा कैसे हैं? आइए जानें...

सबसे पहले बात करते हैं उन अभूतपूर्व मंदिरों की, जिन्हें 'भूकंप रोधी' तकनीक द्वारा बनाया गया। इस सूची में सर्वप्रथम नाम आता है-


रामप्पा मंदिर

800 वर्ष पूर्व, 13वीं सदी के आसपास तेलुगु-भूमि पर ककातियों का राज था। उन्होंने ऐसे कई भवन बनाए, जो अतिविनाशकारी भूकम्प के झटकों को सहकर भी ज्यों के त्यों खड़े हैं। इनमें से एक है, 1000 खम्भों पर खड़ा रामप्पा मंदिर। इस मंदिर को 'सैंड बॉक्स' तकनीक द्वारा निर्मित किया गया।

सन् 1980 में, भारतीय पुरातत्त्व विभाग ने एन.आई.टी. वारंगल के साथ मिलकर ककातियों की निर्माण शैली पर शोध किया। उन्होंने पाया कि ककातियों ने ' Sand' यानी रेत का भरपूर उपयोग मंदिर की नींव बनाने में किया। भवन के आकार ( Size), बनावट ( Architecture) और क्षेत्रफल ( Area) को ध्यान में रखते हुए 3 मीटर गहरी नींव को खोदा गया। फिर उसे रेत से भरा गया। इसे मजबूत बनाने हेतु ग्रेनाइट ( Granite), गुड़ तथा कराक्या ( Terminalia Chebula) जैसे पदार्थों का उपयोग भी किया गया। 

यही नहीं, यदि भूकम्प के झटके रेत को चीर या पार कर भवन तक पहुँच भी जाएँ, तो इसका भी इंतज़ाम किया गया। पिघले लोहे को शिलाओं के बीच बनाए गए सुरंगों ( Tunnels) जैसे छेदों में भरा गया। इन छेदों को 'Iron-Dowels' कहा जाता है। ये डॉवल्स शिलाओं को आपस में फ्रेम की तरह बाँध कर रखते हैं।

आमतौर पर आजकल आधारशिलाओं की केवल मज़बूती पर ध्यान दिया जाता है, जिससे कि वे भवन का वज़न सहन कर सकें। लेकिन ककातियों की दूरदर्शिता, वैज्ञानिक अभिरुचि व जागरूकता देखिए! प्रशंसनीय! उन्होंने रेत का प्रयोग एक कुशन ( Cushion) यानी 'मसनद या गद्दे' की तरह किया, जिससे कि वह धरती के चारों ओर से आए झटकों को सोख ले।

इसलिए जब भी भूकम्प आते, प्राथमिक ( Primary) व माध्यमिक ( Secondary) झटके भवन तक पहुँचने से पहले ही रेत द्वारा जज़्ब कर लिए जाते। यही वजह है कि सत्रहवीं सदी के भयंकर भूकम्प में भी रामप्पा मंदिर को न के बराबर नुकसान हुआ।


...अन्य अचम्भित करने वाले प्राचीन मंदिरों के वैज्ञानिक तथ्यों को जानने के लिए पूर्णतः पढ़िए दिसम्बर'17 माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका।

 

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