सम्मोहन का मोहक जाल | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

सम्मोहन का मोहक जाल

पवन का मन बेहद उदास था। अवसाद व निराशा से व्यथित होकर वो अपनी सोचने-समझने की शक्ति खोता जा रहा था। अपनी खामियों और परेशानियों से निजात पाने के लिए क्या करना है, उसको कुछ स्पष्ट नहीं हो पा रहा था। बोझिल कदमों को ढोते हुए, लक्ष्यविहीन सा, वो फुटपाथ पर बढ़े जा रहा था। अचानक उसकी नज़र एक विज्ञापन पर पड़ी, जिसने उसे रुकने को मज़बूर कर दिया। सड़क किनारे चिपके उस पोस्टर में मदद का लुभावना प्रस्ताव था- 'समस्त मानसिक परेशानियों का अचूक इलाज- हिप्नोथेरेपी।' साथ ही, सम्मोहन चिकित्सक का नाम एवं क्लीनिक का पता भी लिखा हुआ था। पवन को लगा कि जिस सहारे को वह ढूंढ रहा था, वो यही है।बस, अब वह अपने इस झंझावात से मुक्ति पा ही लेगा। इसी सोच को लिए वह सीधा उस पते पर जा पहुँचा।


क्लीनिक में रिसेप्शन पर उसने अपना नाम व फोन नम्बर लिखवा दिया। अपनी बारी का इंतज़ार करते हुए उसके मन में घबराहट और आशा के मिलेजुले बुलबुले फूट रहे थे। 'हिप्नोथेरेपी क्या होती है?... इसके द्वारा मेरी प्रोब्लम क्या सच में सुलझ जाएगी? क्या कोई दवाई खानी पड़ेगी? क्या यह डॉक्टर मेरी सब परेशानियों का अंत कर देगा!... हाँ! ऐसा ही होगा! मेरे मन के सभी डर और अवसाद छूमंतर हो जाएंगे। मैं ज़िंदादिली से फिर से जी पाऊँगा। यूँ सोचते हुए अभी चंद मिनट ही बीते होंगे कि उसको डॉक्टर साहब ने अपने कक्ष में बुला लिया। उन दोनों के बीच जो वार्ता हुई, वह कुछ इस प्रकार थी-

डॉक्टर (वाणी में अति माधुर्य भरकर)- हेलो, बैठिए प्लीज़। मेरा नाम डॉक्टर भावेश है। बताइए, आपकी क्या परेशानी है?

पवन- सर, मेरा नाम पवन है मैं... (थोड़ा हिचकिचाते हुए)

डॉक्टर (अपनापन जताते हुए)- पवन, डरो नहीं। मैं यहाँ आपकी मदद के लिए ही बैठा हूँ। संकोच किए बिना मुझे अपने बारे में बताओ।

पवन- सर, मेरा नाम पवन है और मैं 28 वर्ष का हूँ। मैंने हाल ही में एक नई नौकरी ज्वॉइन की है। जो कि पिछले दो सालों में मेरी तीसरी नौकरी है। पर अभी भी मैं इस नौकरी से संतुष्ट नहीं हूँ। दो या तीन वर्ष हो गए, मैं अक्सरां परेशान ही रहता हूँ।ज़िंदगी में इतनी परेशानियाँ हैं! ऊपर से इतनी मेहनत करने के बाद भी कोई सफलता हासिल नहीं होती। कितनी कोशिश करता हूँ कि मैं अपनी पर्सनेलिटी को निखारूँ, पर मेरी कमियाँ वैसी की वैसी ही रहती हैं। मैं चिंतामुक्त जीना चाहता हूँ, पर अपनी नाकामयाबियों से परेशान हो चुका हूँ। अपने हमउम्र के दोस्तों को देखता हूँ, तो वे कितने खुश और जीवन में कितने सफल हैं। और मुझे देखो तो मेरा जीवन वो ही बैलगाड़ी की स्पीड से घिसट रहा है। मैं तंग आ गया हूँ अपने आप से!

डॉक्टर- देखो पवन, पहले तो इतना जान लो कि जिस मनोवस्था से तुम गुज़र रहे हो, उसमें आज के लगभग 53% युवा आमतौर पर ग्रस्त हैं।इस अवस्था को ' क्वॉटर लाइफ क्राइसिस' के नाम से जाना जाता है।इसमें औसतन 25 से लेकर 35 साल के युवाओं में अपने करियर, रिश्तों, वित्तीय स्थिति को लेकर असुरक्षा, संदेह और निराशा के भाव होते हैं।

पवन- तो सर, क्या इसका कोई इलाज नहीं है? मैं क्या इसी में उलझा रहूँगा?

...

क्या पवन सचमुच ज़िन्दगी भर इसी समस्या से जूझता रहेगा? क्या डॉक्टर उसकी समस्या का समाधान कर पाएंगे? या फिर कोई अन्य ही उसका मार्गदर्शन करेगा? ये सब पूर्णतः जानने के लिए पढिए सितंबर माह की अखण्ड ज्ञान हिन्दी मासिक पत्रिका।

Need to read such articles? Subscribe Today