सर्दी का मौसम आते ही, शीतल हवाओं और ओस की बूंदों से सारा वातावरण ठंडा और धुंध (कोहरे) से युक्त हो जाता है। जिस दिन भगवान भास्कर के दर्शन न हों, उस दिन तो ठंड और भी बढ़ जाती है। वातावरण में ताप के कम होने से कई बार हमारे शरीर का ताप भी कम होने लगता है। साथ ही, इस ऋतु में अनुचित आहार-विहार के कारण हमारी पाचन प्रक्रिया बिगड़ जाती है। भोजन का उचित रूप से पाचन न होने से अनेक प्रकार की समस्याएँ हो जाती हैं, जैसे खाँसी, सर्दी-ज़ुकाम, बार-बार छींकों का आना, नाक से पानी गिरना, सिरदर्द, श्वास रोग, पेट संबंधी रोग, मौसम संबंधी एलर्जी आदि।
परन्तु यदि हेमन्त और शिशिर ऋतु में हम आयुर्वेदानुसार आहार-विहार एवं रसायनों का सेवन करें, तो यह सर्दी का मौसम हमारे लिए प्रकृति का एक वरदान साबित होता है। क्योंकि इन ऋतु में सेवन किए गए पौष्टिक भोज्य पदार्थों, औषध एवं रसायनों आदि के द्वारा ऊर्जा एवं स्वास्थ्य को संचित किया जा सकता है। फिर इनके द्वारा व्यक्ति पूरे साल अपने आप को चुस्त-दुरुस्त रख सकता है व रोगों से अपना बचाव कर सकता है।
इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए श्री आशुतोष महाराज आयुर्वेदिक फार्मेसी, नूरमहल (पंजाब) द्वारा कई प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियों एवं रसायनों का निर्माण किया जाता है, जो सर्दी के मौसम में आप और आपके पूरे परिवार का स्वास्थ्य संरक्षण करते हुए ऊर्जा प्रदान करते हैं। कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियों के रसायन तथा उनके प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं-
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कासबाण सिरप, कास-सुधा अवलेह, चित्रक हरीतकी, प्रतिश्यायहर कैप्सूल... ये सभी औषधियाँ आप दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की किसी भी नजदीक शाखा से प्राप्त कर सकते हैं। …
इनमें मौजूद रसायन और इनके सभी प्रमुख गुणों को पूर्णत: जानने के लिए पढ़िए जनवरी'20 माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका!