गुस्सा नहीं है अच्छा! | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

गुस्सा नहीं है अच्छा!

इटली के एक विख्यात कवि तैसो को किसी ने एक बार बहुत आहत किया। तब लोगों ने तैसो से पूछा- 'तुम उस व्यक्ति से बदला क्यों नहीं लेते, जिसने तुम्हारे साथ इतना बुरा किया?' तैसो ने कहा- 'बिल्कुल ठीक कहते हो तुम सब! मेरा मन भी यही कह रहा है कि उसने मेरे साथ जो किया है, उसके बदले में उससे एक चीज़ तो लेकर ही रहूँगा...' पूछने वालों ने अनुमान लगाया- ‘अ... अ... तुम्हारा मतलब है... उसका मान सम्मान?... उसकी संपत्ति?... या फिर... उसका जीवन ही?

तैसो- ' मैं उसके...

अफ्रीका में रंगभेद के चलते काले लोगों पर अत्याचार जारी था। ऐसे में काले लोगों में जोश भरने के लिए अल्बर्ट श्वाइट्ज़र अफ्रीका के जंगलों में गए। वहाँ पर एकत्रित काले लोगों के विशाल जनसमूह के आगे बुलंद आवाज़ में बोले- 'मेरे भाइयों! बहुत हो गया! अब से ठान लें, यह निश्चित कर लें कि यदि सुबह कोई तुम्हें अपशब्द कहे, तो... दोपहर को कोई तुम्हारा भोजन छीन ले, तो... रात को यदि कोई तुम पर झूठा आरोप लगाए, तो...'

प्रशिया के राजा फिर फ्रेड्रिक II के कक्ष में चांदी की एक पेटिका रखी थी, जिसमें सौंफ-सुपारी इत्यादि खाद्य सामग्री थी। एक दिन फ्रेड्रिक ने नौकर को उसमें से कुछ चुराते हुए देख लिया। नौकर ने जब राजा की आवाज़ सुनी, तो सिर से पाँव तक काँप गया। गिड़गिड़ाते हुए, क्षमा माँगते हुए राजा के सामने घुटनों के बल गिर गया। राजा बोला- 'तुमने हमारे कक्ष से यह लिया... क्या तुम्हें...'

 ऊपर वर्णित सभी घटनाएँ इतिहास में घट चुकी हैं। परंतु हमने इन्हें आपके सामने अधूरा ही रखा है, बाद में रिक्त स्थान छोड़ दिए। जानबूझ कर! आपसे पूछने के लिए कि यदि आप तैसो, अल्बर्ट और राजा फ्रेड्रिक के स्थान पर होते, तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होती?

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इस प्रतिक्रिया की वास्तविक प्रतिक्रिया से तुलना करने के लिए पढ़िए आगामी अगस्त माह'2020 की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका।

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