कैसा संगीत हमारी प्ले-लिस्ट में हो? | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

कैसा संगीत हमारी प्ले-लिस्ट में हो?

क्या संगीत भी अच्छा-बुरा हो सकता है? संगीत के प्रोफेसर 'टिम फिशर' इसका उत्तर एक उदाहरण से देते हैं। वे कहते हैं- अंग्रेजी भाषा के वर्ण 'e' को लें। तो क्या यह अच्छा 'e' होगा या बुरा? या फिर दोनों में से कुछ नहीं? तीसरा विकल्प ही सही है। 'e' न्यूट्रल है- न अच्छा है, न बुरा है। पर जब मूल वर्ण को अन्य मौलिक वर्णों से जोड़कर पंक्ति का निर्माण करते हैं, तो? मसलन- 'Praise the Lord (प्रभु का गुणगान करें)' या 'I hate God (मैं भगवान से नफरत करता हूँ)'। स्पष्ट देखा जा सकता है कि पहला वाक्य सकारात्मक या अच्छा है; पर दूसरा वाक्य नकारात्मक या बुरा है। अतः 'e' न्यूट्रल है, मगर उसे जिस स्थान पर और जिन वर्णों के साथ जोड़ा गया- उससे वाक्य अच्छा बुरा अर्थ ले लेता है।

ठीक यही कहानी संगीत की है। संगीत मूलतः सुर, ताल और लय का मेल है। न्यूट्रल है। लेकिन जिन बोलों और भावों को इसमें गुँथा जाता है, उनके कारण रचना सकारात्मक या नकारात्मक रूप धारण कर लेती है। संगीतकार की मंशा के ढाँचे में ढलकर संगीत अच्छा या बुरा हो जाता है।

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आज का युवा वर्ग खूब धूम-धड़ाके वाला, चीख-चिल्लाहट से युक्त संगीत पसंद करने लगा है। ऐसी रचनाओं को वह 'कूल' या 'बिंदास' समझता है और उसकी थाप पर सुध-बुध खोकर थिरकता है। पर क्या आप जानते हैं, ऐसे कर्कश और भीषण संगीत को वैज्ञानिकों ने क्या नाम दिया है?...

...क्या हमें, हमारे युवा वर्ग को और बच्चों की बढ़ती फसल को ऐसे नकारात्मक संगीत का भोजन परोसा जाना चाहिए? इसके कैसे-कैसे हरजाने हमें भुगतने पड़ सकते हैं? जानने के लिए पढ़िए सितंबर 2020 माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका। 

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