विश्व इतिहास के पन्नों में दो ऐसे युद्ध दर्ज किए जा चुके हैं, जिनके बारे में सोचकर आज भी मानवता काँप उठती है। पहला था, सन् 1914 में शुरु हुआ प्रथम विश्व युद्ध। कई मिलियन शवों पर खड़े होकर इस विश्व युद्ध ने पूरे संसार में भयंकर तबाही मचाई थी। चार वर्षों तक चले इस मौत के तांडव को आगामी सब युद्धों को खत्म कर देने वाला युद्ध माना गया था। किन्तु त्रासदी यह रही कि यही युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) का कारण बन गया। और आप जानते ही हैं, द्वितीय विश्व युद्ध तो पहले से भी कई गुना विकराल रहा। प्रथम, विश्व युद्ध जल-थल-आकाश तीनों आयामों पर लड़ा गया था। किन्तु द्वितीय विश्व युद्ध में इनके साथ परमाणु बम ने भी हाथ मिला लिया। हिरोशिमा-नागासको पर गिराए गए दो परमाणु बमों ने पूरे विश्व को दहला कर रख दिया था। मानवता त्राहि-त्राहि कर उठी थी। इस संत्रास से सिहरकर युद्ध को विराम दे दिया गया था।
पर सोचिए, क्या वह सच में पूर्णविराम था या अर्धविराम? अर्धविराम इसलिए ताकि अन्य देश भी मौत का यह हथियार बना सकें! कौन झुठला सकता इस सत्य को कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हर देश में परमाणु बम बनाने की होड़ सी लग गई।...
...मानव की दानव बन चुकी बुद्धि भी हार मानने वाली कहाँ है? वह तो युद्ध के नित नए तरीके खोजने में लगी है। विशेषज्ञों की मानें, तो संभावी तृतीय विश्व युद्ध कई प्रकार से लड़ा जा सकता है। इनमें से एक तरीका है- साइबर विश्व युद्ध। ...अगर यह युद्ध हुआ तो कैसा होगा!... पूर्णत: जानने के लिए पढ़िए अप्रैल'२१ माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका!