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समग्र मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में 15 सितंबर 2022 को सरकारी बॉयज हायर सेकेंडरी स्कूल, सुंदरबनी, राजौरी, जम्मू और कश्मीर में तनाव प्रबंधन पर एक व्याख्यान सत्र का आयोजन किया गया।

A Mindful & Engaging Session on Stress Management at Govt. Boys Higher Secondary School, Rajouri, Jammu & Kashmir

मानव मन निःसंदेह बेहद शक्तिशाली होता है। परंतु यदि इस मन को सही दिशा न मिले, तो यह हमारे पतन का कारण बनता है। ऐसे में बहुत बार तनाव और अवसाद भी हमें अपनी गिरफ्त में ले लेते हैं। आजकल बच्चों और किशोरों में भी बड़ी मात्रा में यह समस्या देखी जा रही है। आंतरिक रूप से सशक्त न होने के कारण, वो इस तनाव में गहरा धंसते जाते हैं। बहुत बार साथियों के साथ ताल मेल न बिठा पाने के कारण, अकेले पड़ जाते हैं। यह अकेलापन भी उनके भीतर तनाव को जन्म देता है।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. सर्वेश्वर जी ने उपस्थित लोगों और शिक्षकों व छात्रों को तनाव के अत्यंत हानिकारक प्रभावों के बारे में बताया। तनाव दिमाग को अधीर और अधिक थकान से प्रभावित कर नींद की कमी पैदा करता है। हम सभी जानते हैं कि कैसे एक आरामदायक व अच्छी नींद मन और शरीर दोनों को फिर से चुस्त दुरुस्त करने में मदद करती है। इसकी कमी व्यक्ति के प्रयासों की उत्पादकता को प्रभावित करती है जिससे चिंता या बढ़ते बढ़ते अवसाद की स्थिति पैदा हो जाती है। लेकिन चूंकि अच्छी नींद स्वस्थ और शांत मन का परिणाम है, इसलिए पहले मन का शांत होना अधिक महत्वपूर्ण है। जिसका सबसे अच्छा तरीका है- ध्यान। प्राचीन ऋषियों के साथ-साथ आधुनिक वैज्ञानिकों ने भी ध्यान को तनाव का सबसे उपयोगी समाधान माना है।

A Mindful & Engaging Session on Stress Management at Govt. Boys Higher Secondary School, Rajouri, Jammu & Kashmir

डॉ. सर्वेश्वर जी ने आगे आत्मनिरीक्षण और स्वयं पर काम करने पर जोर दिया ताकि एक संतुलित जीवन व्यतीत किया जा सके। यह संतुलन तभी बनाया जा सकता है जब व्यक्ति जीवन के वास्तविक उद्देश्य को जानता हो और उस उद्देश्य के स्रोत से जुड़ा हो, ठीक उसी तरह जैसे बिजली के स्रोत से जुड़े होने पर मोबाइल चार्ज होता है। इसलिए स्वयं को पूर्णतः स्वस्थ बनाने के लिए अपने भीतर की दिव्य शक्ति से जुड़े रहने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे इस तथ्य को समझाते हुए बताया कि ये केवल शब्द नहीं हैं, बल्कि इसका अभ्यास किया जा सकता है। ब्रह्मज्ञान आधारित ध्यान की तकनीक का उपयोग करके तनाव से बचा जा सकता है। यह तकनीक स्वयं से जुड़े रहने में मदद करती है जिसके द्वारा जीवन में एकाग्रता, सकारात्मकता और नैतिक मूल्य आते हैं। जीवन अधिक अनुशासित और चिंतामुक्त हो जाता है।

इस कार्यक्रम में शिक्षकों, छात्रों और स्टाफ सदस्यों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया और व्याख्यान के मूल संदेश की सराहना की। कार्यक्रम में मार्मिक व्याख्यान सत्र के अलावा स्किट, योग सत्र और अन्य गतिविधियाँ भी शामिल रहीं।

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