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मानव जीवन के महत्व एवं उद्देश्य के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए, दिव्य ज्योति जाग्रति  संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा 24 अप्रैल, 2022 को अमृतसर, पंजाब में “सुनो पथिक” विषय पर एक आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रेरणादायक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए।

A Spiritual Program 'Suno Pathik' by DJJS Highlighted the Significance of True Knowledge at Amritsar, Punjab

कार्यक्रम का संचालन सर्व श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक – डीजेजेएस) की शिष्या साध्वी श्रेया भारती जी ने किया। उन्होंने कहा कि ईश्वर हमारे भीतर है और वह अनुभव का विषय है। लेकिन हम इसके बारे में नहीं जानते हैं। इसलिए अपना सारा समय नश्वर संसार के कार्यों में लगा देते हैं। आत्मा-जागृति के अभाव में, जीवन के वास्तविक उद्देश्य का ज्ञान होना असंभव है। वास्तविक लक्ष्य से परिचित न होने के कारण अनेक भ्रम उत्पन्न होते हैं और व्यक्ति नकारात्मकताओं व द्वंद्वों के जाल में जकड़ा जाता है। पूर्ण गुरु द्वारा प्रदत्त ब्रह्मज्ञान की दिव्य लौ से नकारात्मकताओं का अंत करके अन्तःकरण को चिरस्थायी शांति व सकारात्मकता से सजाया जा सकता है। ब्रह्मज्ञान की दिव्य लौ जीवन में आशा, सुख और समृद्धि की नई रोशनी लाती है।

सभी प्रमाणिक ग्रंथ जीवन में पूर्ण गुरु की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं क्योंकि गुरु कृपा द्वारा प्रदत्त ब्रह्मज्ञान ही हमें हमारे आत्म-तत्व, परम चेतना से परिचित करवाने में सक्षम है। सतगुरु “ब्रह्मज्ञान” द्वारा हमारे दसम द्वार को खोलकर, जीवन का लक्ष्य दिखाते हैं। साध्वी जी ने आगे बताया कि ‘गुरु’ शब्द ‘गु’ और ‘रु’ से मिलकर बना है। ‘गु’ का अर्थ है अंधकार और ‘रु’ का अर्थ है प्रकाश। जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जा सकते हैं, अर्थात जो हमें भीतर दिव्य प्रकाश दिखा सकते हैं, अज्ञानता के अंधकार को दूर कर सकते हैं, वही सच्चे व पूर्ण गुरु हैं।

A Spiritual Program 'Suno Pathik' by DJJS Highlighted the Significance of True Knowledge at Amritsar, Punjab

पूर्ण गुरु साक्षात् ब्रह्मा, विष्णु और महेश के स्वरुप होते हैं। गुरु ब्रह्मा हैं क्योंकि वे आध्यात्मिक जगत में आत्मा को जन्म देते हैं (अर्थात् उसे जागृत करते हैं); वे विष्णु हैं क्योंकि वे जीवात्मा का पालन-पोषण करने वाले हैं; तथा वे ही शिव बन समस्त विकारों का संहार करने वाले हैं। ऐसे पूर्ण गुरु ही ब्रह्मज्ञान द्वारा हमें अलौकिक सुख, शांति व आनंद प्रदान कर सकते हैं। आंतरिक जागृति के बाद साधक को यह बोध होता है कि सभी में एक ही परम चेतना का वास है। जब एक पूर्ण आध्यात्मिक गुरु की कृपा से मनुष्य आत्मा का अनुभव कर लेता है, तो उसकी आध्यात्मिक यात्रा सार्थक हो जाती है।

साध्वी जी ने श्रोताओं से आग्रह किया कि वे ब्रह्मज्ञान के शाश्वत विज्ञान को प्राप्त करें और अंतर्घट में दिव्य प्रकाश व अलौकिकता का अनुभव करें। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा से सभी को आत्मनिरीक्षण करने की प्रेरणा मिली व कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

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